मूँग दाल भी औषधि है

मूँग डाल से हम सभी लोग बहुत अच्छी तरह परिचित हैं।

मूँग की दाल द्विदल धान्य है और समस्त दलहनों में अपने विशेष गुणों के कारण उत्तम मानी जाती है।

मूँग काले, हरे, पीले, सफ़ेद और लाल अनेक तरह की होती है।

रोगियों के लिए मूँग बहुत ही लाभदायक बताई जाती है।

मूँग की दाल से पापड़, बड़ियां व पौष्टिक लड्डू भी बनाये जाते हैं।

मूंग की दाल खाने में शीतल व पचने में हल्की होती है।

विभिन्न रोगों में मूँग का उपयोग…
(1)- चावल और मूँग की खिचड़ी खाने से कब्ज दूर होती है।
खिचड़ी में गाय का शुद्ध घी डालकर खाने से कब्ज में बहुत लाभ होता है और पेट भी साफ़ रहता है।

(2)- मूँग को सेंककर पीस लें।
इसमें पानी डालकर पेस्ट तैयार कर लें इसे पूरे शरीर पर मालिश करें।
इससे ज्यादा पसीना आना बंद हो जाता है।

(3)- मूँग की छिलके वाली दाल को दो घंटे के लिए पानी में भिगो दें।
इसके बाद इसे पीसकर गाढ़ा लेप दाद और खुजली युक्त स्थान पर लगाएं,लाभ होगा।

(4)- टाइफाइड के रोगी को मूँग की दाल बनाकर देने से लाभ होता है,
लेकिन टाइफाइड के रोगी के लिए दाल के साथ घी और मसालों का प्रयोग बिलकुल न करें।

(5)- मूँग को छिलके सहित खाना चाहिए।
बुखार होने पर मूँग की दाल में सूखे आंवले को डालकर पकाएं।
इसे रोज़ दिन में दो बार खाने से बुखार ठीक होता है और पेट भी साफ़ होता है।