अस्थमा (दमा ) के कारण ,म लक्ष्ण व् घरेलू उपचार

अस्थमा एक फेफड़े की बीमारी है , जो सांस लेने में कठिनाई का कारण बनता है। फेफड़ों में हवा के प्रवाह में रुकावट होने पर अस्थमा अटैक होता है।

अस्थमा के कारण :-

  1. एलर्जी
  2. वायु प्रदूषण
  3. धूम्रपान और तम्बाकू
  4. स्वशन संक्रमण
  5. जेनेटिक्स ( आनुवंशिक )
  6. मौसम
  7. मोटापा
  8. तनाव

अस्थमा ( दमा ) के लक्ष्ण :-

  1. साँस लेने में तकलीफ
  2. सीने में जकड़न
  3. खाँसी
  4. घबराह्ड़
  5. लगातार सर्दी और खाँसी
  6. नींद में बेचैनी
  7. थकान

अस्थमा निवारण के 11 अद्भुत घरेलू नुस्खे

1 . अदरक का रस , अनार का रस और शहद को बराबर मात्रा में मिलाकर एक चम्मच दिन में दो या तीन बार सेवन करें।

2 . निम्बू में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है जो अस्थमा के इलाज में सहायक होता है। एक गिलास पानी में आधा नींबू का रस निचोड़ ले और उसमे अपने स्वाद के अनुसार शक़्कर मिलाकर पिये।

3. आंवला दमा के उपचार के लिए एक कारगर औषधि है। आंवला को कुचलकर उसमें थोड़ा सा शहद मिलाए और सेवन करें

4. तीन सूखे अंजीर को धो लें और रत भर एक कप पानी में भिगोए। सुबह में खाली पेट अंजीर खा लें और अंजीर का पानी पिए

5. एक चम्मच शहद में आधा चम्मच दालचीनी पाऊडर मिलाकर रात में सोने से पहले सेवन करें। यह गले से कफ को निकलने में भी मदद करता है और इससे अच्छी नींद आती है।

6. प्याज में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण दमा के इलाज में मदद करता है। प्याज को सलाद के रूप में या सब्जियों में पकाकर खा सकते है।

7. एक गिलास गर्म दूध में जैतून का तेल और शहद को बराबर मात्रा में मिलाए , और इसमें कुछ लहसुन की कली डालकर नाश्ता करने से पहले सेवन करें।

8. संतरा , पपीता , ब्लूबेरी और स्टॉबेरी भी अस्थमा के लक्ष्णों को कम करने में मदद करते है।

9. पानी में एक चम्मच अजवायन डालकर उबाले और इसकी भांप लें , आप चाहें तो इसे पि भी सकते है।

10. अपने आहार में अधिक तजा फल और सब्जियों को शामिल करें

11. फ्रिज में रखी व् ठंडी चीजों का सेवन न करें। पानी हमेशा गुनगुना करके ही पिये।

गर्मियों में सौंफ का शर्बत

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सेहत एव उदर रोगों के लिए रामबाण है सौंफ का शर्बत पेट की समस्याओं के लिए पिये यह सौंफ का शर्बत। अगर आपको पेट को ठंडा करने के लिए कुछ अच्छी ड्रिंक पीनी है तो सौंफ का शर्बत बहुत अच्छा उपाय है।

गर्मियों का मौसम शुरू हो गया है और इस मौसम में जितना पेट को ठंडा रखा जाए उतना ही अच्छा होता है। गर्मियों के मौसम में अक्सर हम पेट से जुडी के समस्याओं से दो चार होते है। अगर देखा जाए तो इस मौसम में के लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे गैस , अपच , उल्टी , दस्त , आदि बहुत सारी समस्याए सिर्फ पेट में गर्मी बढ़ने के कारण हो सकती है। ऐसे में क्यों न पेट को ठंडा करने के लिए कोई उपाए क्र लिया जाए ?

पारम्परिक प्राकतिक एव देशी नुस्खों से पेट को ठंडा करने के लिए सौंफ का शर्बत पिने को कहा गया है। इस शर्बत के फ़ायदे के बारे में बताया जाता है की पेट की गर्मी को शांत करने के लिए यह शर्बत काफी उपयोगी है।

सौंफ में फ्लेवोनॉइड्स होते है जो सलाइवा का फ्लो ठीक रखते है जिससे मुँह नहीं सूखता। यह मुँह की दुर्गन्ध को भी ठीक करता है।

सौंफ का शर्बत को अक्सर खाना खाने के बाद इस्तेमाल किया जाता है और इससे माउथ फ्रेशनर का काम लिया जाता है , लेकिन यकीन मानिये सौंफ का काम बहुत हद तक मुँह के स्वास्थ्य को ठीक रखना है। यह काफी अरोमैटिक या खुशबूदार होती है और इसलिए यह मुँह की दुर्गन्ध से काफी अच्छे से लड़ती है। इस भोजन करने के बाद खाया जाता है

सौंफ का शर्बत बनाया कैसे जाए ?

सामग्री 2 चम्मच सौंफ पाऊडर , थोड़ी सी मिश्री , 2 गिलास पानी , पुदीना , इलायची , बस इस शर्बत को बनाना बहुत ही आसान है आप इन सभी चीजों को अच्छे से मिलाए और आपकी ड्रिंक तैयार है।

गोंद कतीरा

गर्मियों में गोंद कतीरा के प्रयोग करने से सेहत को मिलगे जबरदस्त फायदे

जाने गोंद कतीरा के सेवन का सही तरीका : गर्मियों में गोंद कतीरा का सेवन सेहत के लिऐ बहुत फायदेमंद होता है। विस्तार से जानते है इससे सेहत को मिलने वाले फायदों के बारे में

गर्मियों में गोंद कतीरा का सेवन करने के फायदे : गर्मी के मौसम में ऐसी चीजों का सेवन करना चाहिए , जो शरीर को ठंडक पहुंचने का काम करें। ऐसी ही एक चीज है गोंद कतीरा

  1. इसकी तासीर ठण्डी होती है , जिससे यह गर्मियों में शरीर को ठण्डा रखने के साथ साथ लू से भी बचाता है।
  2. इसमें कैल्सियम , प्रोटीन, मेगनीसियम और फोलिक एसिड जैसे तत्व मौजूद होते है। जो सेहत के लिए भी फायदेमंद होते है।

    1 . इम्युनिटी बूस्टर : गर्मियों में गोंद कतीरा का सेवन करने से इम्युनिटी बूस्ट हो सकती है , दरअसल इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में मौजूद होता है, जो इम्युनिटी को मजबूत बनाने में मदद करता है।

    2 . लू से बचाए : चिलचिलाती धुप और गर्मी में लू लगने का खतरा सबसे ज़्यादा रहता है। ऐसे में गोंद कतीरा का सेवन करने से लू से बचाव में मदद मिलती है। इसके सेवन से शरीर को ठंडक मिलती है और पेट की गर्मी भी कम होती है।

    3 . कमजोरी दूर करें :- गोंद कतीरा में प्रोटीन और फिलिक एसिड काफी मात्रा में पाए जाते है। इसके सेवन से शरीर को ताकत मिलती है और शरीरिक कमजोरी दूर होती है।

    4 पाचन तंत्र को दुरस्त रखे : गर्मियों में अक्सर पाचन संबन्धी समस्याओ का सामना करना पड़ता है। ऐसे में, गोंद कतीरा का सेवन करने से पाचन क्रिया में सुधार होता है। इसके सेवन से कब्ज अपच , उल्टी , और मतली जैसे समस्याओं से राहत मिल सकती है।

    गोंद कतीरा का सेवन कैसे करें : एक्सपर्ट के अनुसार एक चम्मच गोंद कतीरा को रातभर पानी में भिगोकर रख दे। सुबह आप इस पानी का सेवन कर सकते है। इसके अलावा आप मिल्कशेक बनाकर भी इसका सेवन कर सकते है।

    राई के कुछ सरल और उपयोगी नुस्खे

    अंग्रेजी नाम – इंडियन मस्टर्ड , हिंदी – राई , गुजराती – राई , मराठी – मोहरी , बंगाली – राई , तेलगु – अबालु।

    राई हम सबके रसोई में रहती ही है। रसोई में बघार या छोंक लगाने में भी राई का उपयोग होता है उत्तर भारत में इसका उपयोग ज़्यादा होता है। इसका पौधा 2 – 3 फुट ऊँचा होता हैं। पिले रंगो के फूल के साथ राई के छोटे-छोटे काले दाने होते है। पुरे भारत में अलग अलग तरह के अचार डालने में राई का सर्वाधिक उपयोग होता है।

    इसकी प्रकृति तीक्ष्ण और गर्म होती है। यह कफ और पित्त का नाश करती है। यह अग्नि को बढ़ाती है। कुष्ट रोग व् कृमि रोगों को समाप्त करती है। अल्प मात्रा में इसका सेवन पाचन , दीपन और पित्त उत्तेजक है। अधिक मात्रा में खाने से उल्टियां भी होती है।

    इसका लेप बहुत गुणकारी होता है। इसका तेल केशवर्धक , त्वचा को शुद्ध करने वाला , कृमिनाशक और शीत पित्त को दूर करता है।

    कुछ सरल और उपयोगी नुस्ख़े :-

    1. बगल में गांठ होने पर राई , गुड़ और गूगल को पीसकर पानी के साथ उसकी पुल्टिस लगाने से गांठ पक जाती है।
    2. पलकों पर फुंसी होने पर राई के चूर्ण को घी के साथ मिलाकर लगाने से आराम मिलता है।
    3. सिर में जुए , फुंसी या खुजली होने पर राई के पाऊडर को पानी में मिलाकर लगाने से आराम मिलता है।
    4. कफ अधिक बढ़ने पर या स्वास रोग में एक चम्मच राई चूर्ण , आधा चम्मच धी , एक चम्मच शहद मिलाकर चाटने से लाभ मिलता है।
    5. ह्रदय रोग में व्याकुलता , कमजोरी या ढीलापन महसूस हो तो राई के चूर्ण की मालिश हाथ पैरो में करने से लाभ होता है।
    6. हैजा में उल्टी दस्त के समय पेट पर राई का लेप लगाने से तुरंत आराम मिलता है।
    7. अपचन और पेट दर्द में एक चम्मच राई का चूर्ण शकर के साथ फाँकने से तुरंत लाभ होता है।
    8. मासिक धर्म में रुकावट या अधिक दर्द होने पर राई चूर्ण के गुनगुने पानी में कटि स्नान करने से लाभ होता है।
    9. कफ गाढ़ा हो और निकलने में परेशानी हो तो 200 ग्राम राई , 100 ग्राम सेंधा नमक और 100 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह श्याम एक एक चम्मच मेने से कफ पतला होकर निकलता।
    10. वात का दर्द हो तो राई , सहजन की छाल को मट्ठे में पीस क्र लेप बनाकर लगाने से लाभ होता है।

    सेहत के लिए अमृत समान है यह छोटा सा लाल फल

    करौंदा :- हमारे आसपास कुछ चीजें ऐसी होती है , जिन्हें आयुर्वेद में अमृत समान माना गया है , लेकिन हमें इसके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं होता , करौंदा ऐसा ही छोटा सा लाल फल है , जो सेहत के लिए अमृत समान है।

    करौंदा ऐसा ही एक बेशकीमती फल है , जो अमृत समान है , झाड़ी की तरह इसके पौधे हिमालय वेस्टर्न घाट , बिहार , महाराष्ट्र , कर्नाटक आदि राज्यों में उगते है , करौंदा इतना औषधीय गुणों से भरपूर है की इससे कैंसर जैसी बीमारी को भी रोका जा सकता है। कच्चा करौंदा हरा पीला होता है लेकिन जैसे ही यह पकता है बहुत सुन्दर गोल मटोल लाल रंग का हो जाता है करौंदे में प्रचुर मात्रा में आयरन , विटामिन सी और विटामिन बी पाया जाता है। यह एंटीशकारब्युटिक होता है।, यानि एनीमिया के इलाज में करौंदा बेहद फायदेमंद होता है , छाती के दर्द में भी करौंदा का इस्तेमाल किया जाता है करौंदा शुरू शुरू में खट्टा होता है लेकिन पकने पर यह खट्टा मीठा हो जाता है।

    रोग प्रतिरोधक :- करोंदा में विटामिन सी और विटामिन ए की मात्रा अधिक होती है जिससे ये आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है इसके सेवन से आप कई तरह की बीमारियों से बच सकते है

    पाचन में सुधार :- करौंदा खाने से पाचन में सुधार होता है इस में घुलनशील फाइबर पाया जाता है जो पाचन तंत्र को बेहतर तरीके से काम करने मदद करता है गैस और एसिडिटी की समस्या से रहत मिलती है। जिस वजह से ये आपको लंबे समय तक संतुष्ट रख सकता है , इसके जूस का नियमित सेवन करने से वजन घटाने में मदद मिलती है।

    बालों के लिए :- इसमें विटामिन सी और विटामिन ए होता है , ये दोनों ही विटामिन बालों के लिए अच्छे माने जाते है इससे बालों की ग्रोथ होती है बाल हेल्दी और मजबूत बनते है।

    हड्डियों के लिए जरूरी :- करौंदा में कैल्शियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है कैल्शियम हड्डियों को कमजोर होने से बचाने में मददगार है करौंदे को डाइट में शामिल क्र हड्डियों को मजबूत बनाया जा सकता है।

    चुकंदर के औषधीय गुण

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    1 .चुकंदर का सेवन करने से एनीमिया , कब्ज़ व् माहवारी की समस्या दूर होती है।

    2.चुकंदर का सेवन शरीर में खून की मात्रा बढ़ाता है , इसलिए महिलाओं के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है।

    ३.चुकंदर का सेवन सलाद व् जूस के रूप में करना काफी फायदेमंद होता है।

    4.इसमें आयरन ,पोटेशियम , फास्फोरस , कैल्शियम , विटामिन डी , और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते है।

    5.आयुर्वेद में बताया गया है की यह खून तो बढ़ाता ही है साथ ही पेशाब सबंधी समस्याओं को भी दूर करता है।

    6. चुकंदर का सेवन शरीर से विषेले पदार्थो को बाहर निकल देता है , और इस कारण रक्त साफ हो जाता है।

    7. इसे नियमित खाया जाये तो यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि भी करता है।

    8. चुकंदर शरीर में कैल्शियम को बढ़ाता है, जिससे हड्डिया मजबूत होती है।

    बाजरा खाइए

    हड्डियों के रोग नहीं होंगे—-!

    बाजरे की रोटी का स्वाद जितना अच्छा है , उससे अघिक उसमें गुण भी है।

    बाजरे की रोटी खाने वाले को हड्डियों में कैल्सियम की कमी से पैदा होने वाला रोग आस्टियोपोरोसिस और खून की कमी यानि एनीमिया नहीं होता है।

    बाजरा लीवर से सबंधित रोगों को भी कम करता है।

    गेहूं और चावल के मुकाबले बाजरे में ऊर्जा कई गुना अधिक है।

    बाजरे में भरपूर कैल्सियम है जो हड्डियों के लिए रामबाण औषदि है। उधर आयरन भी बाजरे में इतना अधिक होता है की खून से होने वाले रोग नहीं होते है।

    खासतौर पर गर्भवती महिलाओ को कैल्सियम की गोलिया खाने के स्थान पर रोज बाजरे की ऋ रोटी खानी चाहिए

    जब गर्भवती महिलाओं को कैल्सियम और आयरन की जगह बाजरे की रोटी और खिचड़ी दी जाती है तो इससे उनके बच्चों को जन्म से लेकर पांच साल की उम्र तक कैल्सियम और आयरन की कमी से होने वाले रोग नहीं होते है।

    इतना बाजरे सेवन करने वाली महिलाओं में प्रसव में असामान्य पीड़ा में मामले भी न के बराबर पाए गए है।

    बाजरे का किसी भी रूप में सेवन लाभकारी है।

    लिवर की सुरक्षा के लिए भी बाजरा खाना लाभकारी है।

    उच्च रक्तचाप , ह्रदय की कमजोरी , अस्थमा से ग्रस्त लोगों तथा दूध पिलाने वाली माताओं में दूध की कमी के लिये यह टॉनिक का कार्य करता है।

    यदि बाजरे का नियमित रूप से सेवन किया जाय तो यह कुपोषण ,और असमय वृद्ध होने की प्रक्रियाओँ को दूर करता है।

    बाजरे के शरीर प्राकृतिक रूप से बलशाली बनता है। यह एंग्जायटी ,डिप्रेशन और नींद न आने की बीमारियों में फायदेमंद होता है। यह माइग्रेन के लिए भी लाभकारी है।

    इसमें लेसिथिन और मिथियोनिन नामक अमीनो अम्ल होते है जो अतिरिक्त वसा को हटा कर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा की कम करते है।

    बेल पत्र खाने के फ़ायदे

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    बेल पत्र खाने के फ़ायदे निम्न्लिखित है।

    1. डायबिटीज के रोगी करे सेवन
    2. कब्ज़ और एसिडिटी को करें दूर
    3. दिल के लिए फ़ायदेमद है
    4. इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर
    5. बुखार होने पर भी कर सकते है सेवन
    6. खून को करता है साफ
    7. बवासीर जैसी गभींर समस्या का समाधान करता है

    आपने बेलपत्र का इस्तेमाल भगवान शिव जी की पूजा करते समय किया होगा। लेकिन क्या आपको पता है की बेलपत्र न केवल पूजा पाठ में इस्तेमाल किया जाता है। बल्कि इसको खाने से ये आपकी सेहत के लिए वरदान भी साबित हो सकता है। यदि बेलपत्र खाने के फ़ायदे को देखा जाए तो ये हमे एक नहीं बल्कि कइ बीमारियों में राहत प्रदान करता है। भोलेनाथ पर चढ़ाया जाने वाला ये बेलपत्र अपने अंदर सेहत से जुड़े कई राज समेटे हुए है। इसके चिकित्सीय गुणों की बात करें तो इसमें कई तरह के खनिज तथा विटामिन भरपूर मात्रा में पाए जाते है। जिसमे विटामिन A , विटामिन C , विटामिन B 1 , विटामिन B 6 , विटामिन B 12 , केल्शियम , राइबोफ्लेविन तथा फाइबर महत्वपूर्ण है। इसके यही पोषक तत्व इसे हमारी सेहत के लिए वरदान बनाते है।

    बेलपत्र खाने के फ़ायदे :-

    डायबिटीज के रोगी करें सेवन :- बेलपत्र को खाने से डायबिटीज के रोगी को काफी फायदा मिलता है। डायबिटीज जैसी समस्या से गुजर रहे रोगियों को अपने शुगर लेवल को कम करने में काफ़ी कठिनाई होती है। बेलपत्र में एक ऐसा राज छुपा है जो आपकी डायबिटीज जैसी समस्या मे काफी मदद करता है। रोजाना खाली पेट पतियों को चबाने से आप अपने आप को स्वस्थ रख सकते है। इसमें पाई जाने वाली फाइबर ब्लड के शुगर लेवल को ठीक करता है। इसके साथ ही बेलपत्र में लैक्सेटिव गुण भी पाया जाता है जो हमारी पेट सबधी समस्याओं को दूर करके इन्सुलिन बनाने में मदद करता है।

    कब्ज और एसिडिटी को करे दूर :-

    हमारे आजकल के लाइफस्टाइल और खानपान के कारण हमें कई प्रकार की पेट संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्ही समस्याओं माँ कब्ज़ एक समस्या है जो हमारे पाचन तंत्र से जुडी हुई है। बेलपत्र खाने से कब्ज जड़ से खत्म हो जाती है। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट हमारे पाचन तंत्र को मजबूत करता है।

    दिल के लिए फ़ायदेमद है :-

    बेलपत्र में पाए जाने वाले विभिन्न पोषक तत्व दिल की समस्याओं को दूर करने में काफी कारगर है। इसमें पाए जाने वाले विटामिन सी में गुणकारी एंटीऑक्सीडेंट्स होते है जो ह्रदय के लिए बहुत ही लाभदायक होते है। इसके अलावा इसमें पोटेशियम भी पाया जाता है जो हमारे शरीर के ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है। जिससे दिल के रोगो का खतरा कम होता है।

    इम्युनिटी बढ़ाने में है कारगर

    बेलपत्र खाने के अन्य फायदे की बात करे तो हमारे शरीर की इम्युनिटी कमजोर होने के कारण हम लोग बार -बार बीमार पड़ते है। अगर हमें इस समस्या से छुटकारा पाना है तो हर सुबह खाली पेट बेलपत्र का सेवन करना चहिये

    बुखार होने पर भी कर सकते है सेवन

    अक्सर बुखार आने पर शरीर में दर्द तथा सूजन जैसे लक्ष्ण दिखाई पड़ने लगते है। सब समस्याओं को दूर करने के लिए बेल के पत्तो का काढ़े के रूप में सेवन करने से हम बुखार को नियंत्रित कर सकते है। इसके साथ ही बेलपत्र में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण पाया जाता है जो हमारे शरीर की सूजन को कम करने में भी काफी सहायक करता है।

    खून को करता है साफ

    इन सब के अलावा भी बेलपत्र खाने के फ़ायदे है बेलपत्र का सेवन हमारे खून को साफ करता है। इसको खाने से हमारे शरीर में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है जो हमारे खून को स्वस्थ रखता है। इसमें सेवन से इसमें पाये जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट की मदद से खून में पाए जाने काले वायरस को समाप्त करने में सहायता मिलती है इतना ही नहीं इसे विटामिन सी की भी आपूर्ति होती है।

    बवासीर जैसी गभीर समस्या का समाधान करता है

    बेलपत्र खाने के फायदे में बवासीर जैसी गभीर समस्या का समाधान भी छुपा हुआ है। बवासीर एक ऐसी बीमारी है जिससे रोगी बहुत दर्द का अनुभव करता है। इस बीमारी की जड़ देखी जाए तो वो हमारे पेट सबंधी समस्या में पाई जाती है यदि बेल के जूस को पिया जाए तो इस तरह की समस्या में काफी आराम मिलता है। बेलपत्र में पाया जाने वाला फाइबर हमारी पाचन सबधी प्रक्रिया को मजबूत करता है। जिससे मलत्याग करते समय हमे किसी भी दिक़्क़त का सामना नहीं करना पड़ता है।

    मेथी दाना और उसका पानी पीने के फायदे व् नुकसान क्या है

    मेथी एक सुगंधित पौधा होता है जो मटर और फलियों की तरह ही फलियों में परिवार का सदस्य है इसके सूखे बीजों को मसाले के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। मेथी के पौधे का वैज्ञानिक नाम ट्राइगोनेला फोनम ग्रेकम है।

    मेथी का उपयोग क्या है ?

    कई जड़ी बूटियों की तरह, लोग मेथी का उपयोग विभिन्न कारणों से के सकते है। मेथी का स्वाद तेज मीठा और कुछ हद तक कड़वा होता है। इसका उपयोग अक्सर मसाले के रूप में किया जाता है ,इसे कच्चा या पकाकर भी खाया जा सकता है , या आते के साथ मिलाकर रोटी बनाई जा सकती है। ये पाचन में सहायक होती है। इसके बीजों को बहरी रूप से फोड़े फुंसियों के लिए लेप के रूप में और आंतरिक रूप में पाचन तंत्र की जलन कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है। कभी कभी स्तनपान करने वाली माताए अपने दूध को बढ़ाने के लिए मेथी का उपयोग करती है। लोग इसे विभिन्न रूपों में प्रयोग में लेते है , जैसे की

    1. साबुन
    2. कॉस्मेटिक्स
    3. चाय
    4. गर्म मसाला
    5. अन्य मसाले

    मेथी को लोग हरी सब्जी के रूप में प्रयोग करते है , इसकी जड़े पत्तिया , टहनियाँ बीज , अलग अलग तरह से प्रयोग की जाता है।

    मेथी खाने के फ़ायदे क्या है

    1. टेस्टोस्टेरोन ( सेक्स हार्मोन ) स्त्राव को बढ़ाता है।
    2. महिलाओं के दूध के स्तर में सुधार करता है।
    3. मासिक धर्म की ऐठन को कम करता है।
    4. यौन डाइव में सुधार करता है।
    5. पाचन में सुधार करता है।
    6. कोलेस्टॉल के स्तर को कम करता है।
    7. हाई ब्लड शुगर को कम करता है।
    8. सूजन को कम करने में प्रभावी है।
    9. रजोनिवृत्ति में उपयोगी है।
    10. वात रोग में फायदे करता है।
    11. फोड़े में उपयोगी है।
    12. अल्सर में काम आता है।
    13. मांसपेशियों में दर्द कम करता है।
    14. माइग्रन और सिरदर्द को कम करता है।

    मेथी खाने के नुकसान क्या है ?

    मेथी के प्रतिकूल प्रभाव आमतौर पर या तो होते नहीं है या बहुत कम होते है। हालांकि गेस्ट्रोइटेस्टाइनल समस्या आम तौर पर कुछ संभावित सामान्य प्रतिकूल प्रभावों से जुडी होती है।

    गुड़ खाने से अद्भुत फायदे

    (1). गुड़ खाने से नहीं होती गैस की दिक़्क़त।

    (2). खाना खाने के बाद अक्सर मीठा खाने का मन करता है। इसके लिए सबसे बेहतर है कि आप गुड़ खाए। गुड़ का सेवन करने से आप हेल्दी रह सकते है।

    (3). गुड़ पाचन क्रिया को सही रखता है।

    (4) गुड़ शरीर का रक्त साफ करता है और मेटाबॉल्जिम ठीक करता है। रोज एक गिलास पानी या दूध का सेवन पेट को ठंडक देता है। इससे गैस की दिक़्क़त नहीं होती। जिन लोगों को गैस की परेशनी है , वो रोज़ दोपहर और रात के भोजन के बाद थोड़ा गुड़ जरूर खाए।

    (5). गुड़ आयरन का मुख्या स्रोत है। इसलिए यह एनीमिया के मरीजों के लिए बहुत फ़ायदे है खासतौर पर महिलाओ के लिए इसका सेवन बहुत अधिक जरुरी है।

    (6) त्वचा के लिए गुड़ ब्लड से खराब टॉक्सिन दूर करता है , जिससे त्वचा दमकती है और मुँहासे की समस्या नहीं होती है।

    (7) गुड़ की तासीर गर्म है , इसलिए इसका सेवन जुकाम और कफ से आराम दिलाता है। जुकाम के दौरान अगर आप अकेला गुड़ नहीं खाना चाहते है तो चाय या लड्डू में भी इसका इस्तेमाल कर सकते है।

    (8) एनर्जी के लिए बहुत ज़्यादा थकान और कमजोरी महसूस करने पर गुड़ का सेवन करने से आपका एनर्जी लेवल बढ़ जाता है। गुड़ जल्दी पच जाता है , इससे शुगर का स्तर भी नहीं बढ़ता। दिनभर काम करने सके बाद जब भी आपको थकान हो ,तुरंत गुड़ का सेवन करें।

    (9) गुड़ शरीर के टेम्प्रेचर को नियंत्रित रखता है। इसमें एंटी एलर्जिक तत्व है , इसलिए दमा के मरीजों के लिए इसका सेवन काफी फायदेमंद होता है।

    (10) जोड़ो के दर्द मे आराम गुड़ के एक टुकड़े के साथ अदरक का सेवन करें , इससे जोड़ो के दर्द की दिक्क्त नहीं होती है।

    (11) गुड़ के साथ पक्के चावल खाने से बैठा हुआ गला व् आवाज खुल जाती है।

    (12) गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से सर्दी में अस्थमा की परेशानी नहीं होती है।

    (13) जुकाम व् कफ की समस्या होने पर गुड़ पिघलाकर उसकी पपड़ी बनाकर खिलाए।

    (14) गुड़ और घी मिलाकर खाने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

    (15) पांच ग्राम सौंठ दस ग्राम गुड़ के साथ लेने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

    हमारे लिए विटामिन -सी कितना जरुरी है ?

    विटामिन -सी की कमी से होने वाली समस्या और उन का निवारण कैसे करें

    कौन कौन सी बीमारिया ही सकती है , विटामिन -सी की कमी से ?

    1. मोतियाबिंद।
    2. घाव में पीप पड़ना।
    3. खाया पिया शरीर को न लगना।
    4. शरीर में दूषित कीटाणुओं की बढ़त।
    5. हड्डियों का कमज़ोर होना।
    6. चिड़चिड़ापन।
    7. लकवा मारना।
    8. श्वेतप्रदर।
    9. भूख न लगना।
    10. सांस लेने में कठिनाई।
    11. चर्म रोग।
    12. अल्सर का फोड़ा होना।
    13. चहरे पर दाग होना।
    14. फेफड़े कमजोर पड़ना इत्यादि।

    किन खाद्य पदार्थो में होता है , विटामिन सी ?

    आंवला , सेब ,अमरुद , केला , बेर , कटहल , पुदीना , मुनक्का , नींबू , संतरा , टमाटर , चुकंदर , पत्ता गोभी , हरा धनिया और पालक और जो भी खाटी खाने की वास्तु है उसमे विटामिन सी होता है।

    विटामिन -सी के फायदे :- जिसके शरीर में लाल रक्त कण की कमी है उसे विटामिन -सी लाभदायक है। अगर इसकी कमी हो जाये तो शरीर में खून की कमी होती है।

    लकवा और पीलिये जैसे मरीज को विटामिन को विटामिन सी की खुराक देना जरूरी है।

    विज्ञानं कहता है की हमारे शरीर के लिए 25 से 30 मिलीग्राम विटामिन सी पर्याप्त होता है।

    अदरक से करें बीमारियों का ईलाज

    अदरक के बारीक़ टुकड़े को चूसने से हिचकी जल्द बंद हो जाती है। देशी गाय का धी या पानी में सेंधानमक पीसकर मिलाकर सुघने से हिचकी बंद हो जाती है।

    अदरक के रस में नींबू का रस मिलाकर उस पर कालीमिर्च का पिसा हुआ चूर्ण डालकर चाटने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।

    महीन पिसा हुआ सेंधानमक अदरक के रस में मिलाकर दर्द वाले दन्त पर लगाएं आराम मिलेगा

    भूख की कमी :- अदरक के छोटे -छोटे टुकड़ो को नींबू के रस में भिगोकर इसमें सेंधानमक मिला कर ले , इसे भोजन करने से पहले नियमित रूप से खाएं।

    सर्दी -जुखाम :- पानी में गुड़ अदरक नींबू का रस अजवायन ,हल्दी को बराबर की मात्रा में डालकर उबाले और फिर इसे छानकर पिलाए।

    गला खराब होना :- अदरक लौग ,हींग और नमक को मिलाकर पीस लें और इसकी छोटी छोटी गोलियां तैयार करे। दिन में 3 – 4 बार एक एक गोली चूसें।

    पेट और सीने की जलन :- एक गिलास गन्ने के रस में दो चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच पुदीने का रस मिलाकर पिये।

    पसली का दर्द :- 30 ग्राम सोंठ की आधा किलो पानी या देशी गाय का दूध में उबालकर और छानकर 4 बार पिने से पसली का दर्द ख़त्म हो जाता है।

    सर्दियों का तोहफा छुहारा

    छुहारे को दूध में उबाल कर खाने के फायदे :-

    कमजोर पुरषो का साथी :- जो खून की कमी से परेशान रहते है , खाया पिया शरीर को नहीं लगता , नपुंसकता शरीर की कमजोरी और धातु की बीमारी से पीड़ित रहते है , उनके लिए यह वरदान से कम नहीं है। इसे पूरी सर्दी कम से कम 3 से 4 महीने रोज रात को सोते समय लेना चहिये।

    छुहारे में मैग्नीशियम पाया जाता है। जो शरीर के शुगर लेवल को कंट्रोल करता है। यह डायबिटीज होने से बचता है।

    छुहारे में पाया जाने वाला फाइबर कोलन को साफ करता है , जिससे कोलन कैंसर होने का खतरा काफी कम हो जाता है।

    छुहारे में पोटैशियम होता है :- इसे दूध में उबाल कर पिने से पेट दर्द डायरिया जैसी समस्याए खत्म हो जाती है।

    छुहारे में डायटरी फाइबर होते है। जिससे पाचन ठीक रहता है। दूध में छुहारे उबाल कर पिने और खाने से स्वास्थ्य ठीक रहता है।

    छुहारे में पाया जाने वाला विटामिन बी 5 बालों को झड़ने और दो मुँहे बालों जैसी समस्याओ को दूर करता है। यह बालों को लम्बा और घना बनाने में भी मददगार होता है।

    छुहारे में सेलेनियम , कैल्शियम , मैगनीज , कॉपर जैसे मिनरल्स होते है। इसे दूध में उबाल कर रोजाना पीने से हड़िया मजबूत बनती है।

    एक बार में 4 छुहारे एक गिलास दूध में थोड़ा सा पानी डालकर धीमी आँच पर उबले जब पानी आधा रह जाए तब इसमें चार पंखुड़ी केसर की और थोड़ा सा शहद मिलाकर पिये। इसे हल्का सा गर्म ही पीना चहिये , और पिने के बाद पानी नहीं पीना चहिये , अगर बहुत ज्यादा प्यास लगे तो गर्म पानी पीना चहिये। ऐसा करने से एक महीने बाद आप अपने शरीर में जबरदस्त ताकत और एनर्जी अनुभव करेंगे जो किसी भी दवाई से नहीं मिलेगी।

    कुलथी दाल किडनी में रामबाण दवा है

    कुलथी उड़द के समान होती है। यह देखने में लाल रंग की होती है , इसकी दाल बना कर रोगी को दी हटी है।

    कुछ वैज्ञानिक कहते है की यह मूत्र की मात्रा बढ़ती है जबकि कुछ कहते है की कुलथी के सेवन से पथरी टूट कर या घुल कर छोटी होजाती है , जिससे पथरी सरलता से मूत्राशय में जाकर पेशाब के रास्ते से बाहर आ जाती है।

    इसके सेवन से पेशाब की मात्रा और गति बढ़ जाती है , जिससे रुके हुए पथरी कण पर दबाव ज़्यादा पड़ने के कारण वह निचे की और खिसक कर बाहर हो जाती है

    प्रयोग की विधि :-

    केवल 10 mm से छोटे स्टोन के लिए

    a. बाजार से एक किलो ग्राम कुलथी दाल खरीद ले। रात में 250 ग्राम कुलथी दाल पानी से धो ले। अब धुली कुलथी दाल को एक बड़े बर्तन में 3 लीटर पानी भर दें पूरी रात भिगोकर रख दें

    B . सुबह होने पपर बर्तन को धीमी आँच पर गैस पर चढ़ा दें। जब पानी घट कर एक किलो रह जाये तो आँच से हटा लें

    C . अब 50 ग्राम घी में थोड़ा काला नमक, कालीमिर्च , जीरा , और हल्दी डालकर तड़का लगाये और कुलथी के पानी वाले बर्तन में मिला दे

    D . दोहपर के भोजन के स्थान पर 250 ग्राम सुप पिये। और श्याम को भी पिये

    E . इस पानी को रोज पिये। इसका कोई भी दुष्प्र्भाव नहीं है। दाल का पानी पिने के बाद बची हुई दाल को खा ले। दाल का पानी पिने के बाद भूख लगे तो एक आधी रोटी खा ले

    F . पथरी एक या दो सप्ताह के बाद स्वयं बाहर आ जाएगी।

    गन्ने का रस , नारियल पानी और जौ का पानी सभी मूत्र रोगो से राहत दिलाने में सहायक होते है

    क्या न खाए :-

    टमाटर , चावल , सूखे मेवे , चाय मांस , पालक अदि का सेवन न करें

    AAP to be made co-accused in excise policy scam , ED tells DELHI High Court

    Verdict reserved on sisodia’s bail pleas in money laundering , corruption cases

    Justice swarana kanta sharma , opposite the bail plea of senior AAP leader and former Delhi Deputy Chief Minister MANISH SISODIA .

    Justice sharma reserved her verdict on sisodia’s bail pleas in money laundering and corruption cases registered by the ED and CBI respectively . Interestingly , justice sharma has last month ruled that a political party can be prosecuted under the prevention of money laundering act (PMLA).

    Dismissing DELHI CM ARVIND KEJRIWAL ‘S petition challenging his arrest by ED , justice sharma had , on 9 April held that definition of “political party” under the representation of peoples act and the definition of “company ” under the PMLA were identical . after examining the two definitions , justice sharma had said , “this court is of the opinion that the definition of “political party ” as per the section 2(f) of the representation of peoples act is that a political party means an ‘association or body of individuals . as per explanation 1 of section 70 of the PMLA , a ‘company ‘also means an’ association individuals’.”

    THE HC had upheld kejriwal’s arrest as he was the national convener of AAP that allegedly used proceeds of the crime in the 2022 Goa Assembly elections .

    On Tuesday CBI adopted the submission made by ED counsel who alleged that accused were were making concerted efforts to delay the some time , MALIWAL came to the police station (but) she left without a complaint ,” he told reporters .

    Addressing the media at the party headquarters , sanjay singh said a shameful incident happened yesterday . “yesterday morning , maliwal had gone to kejriwal ‘s residence to meet him . while she was waiting in the drawing room , Bibhav kumar came there and misbehaved with her (maliwal) . she reported incidet to the police by calling on “112” . we deeply condemn this incident . kejriwal has taken cognisance of the incident and has called for strict action . in the matter ,” he said .

    sanjay singh said maliwal has contributed a lot to society and the country . she is one of the oldest and seniormost leaders of the party . “we all stand by her . The CM has taken the issue seriously and strict action will be taken in the matter . I want to make it clear that AAP does not support such people ,” he said .

    अर्जुन छाल के फायदे

    अर्जुन छाल ह्रदय रोग, कोलेस्ट्रॉल एव हाई ब्लड प्रेशर में रामबाण औषदि– अन्य रोगो में भी अत्यंत लाभदायक है।

    अर्जुन छाल के औषधीय गुण धर्म

    अर्जुन का रस कसैला व् तासीर ठंडी होती है। यह ह्रदय विकारो में फायदेमद एव पिट ,कफ का शमन करने वाली होती है। रक्तविकार एव प्रमेह में भी इसके औषधीय गुण अत्यंत लाभदायी होते है।

    अर्जुन की सिर्फ ह्रदय विकारो में में ही लाभदायक नहीं माना जाता बल्कि अलग औषद योगों के साथ इसका उपयोग करने से बहुत से विकारों में यह फायदेमंद साबित होता है।

    जाने विभिन्न रोगो में अर्जुन छाल के फायदे निम्मन रोगों में अर्जुन का उपयोग किया जाता है।

    पित्तशमन एव रक्तपित में :- अर्जुन कफ एव पित्तशमक होता है एव अम्लपित्त में भी लाभप्रद होता है रक्तपित की समस्या में अर्जुन छाल का काढ़ा बना के सुबह एक कप पिने से रक्तपित की समस्या में लाभ होता है।

    अम्लपित्त एव पित्तशमन के लिए 1 ग्राम अर्जुन छाल चूर्ण में समान मात्रा में लाल चंदन का चूर्ण मिलाकर इसमें शहद मिला ले। इस मिश्रण को चवाल के माड के साथ प्रयोग करने से जल्द ही बढ़े हुए पित का शमन हो जाता है।

    ह्रदय रोगों में अर्जुन छाल का प्रयोग :- ह्रदय विकारो में 30 ग्राम अर्जुन चूर्ण लेकर 30 ग्राम मिश्री मिला लें। इस तैयार चूर्ण में से 1 ग्राम सुबह एव शाम गुनगुने दूध के साथ सेवन करें। जल्द ही ह्रदय से संबंधित सभी विकार दूर ही जाएगे। नित्य एक ग्राम की मात्रा में अर्जुन चूर्ण का इस्तेमाल दूध के साथ सुबह एव सायं करने से भी ह्रदय विकार ठीक होने लगते है।

    अगर ह्रदय की धड़कन तेज हो और साथ में पीड़ा या घबराहट हो तो :- अर्जुन की छाल की खीर बना कर सेवन करे। इसकी खीर बनाने के लिए एक भाग अर्जुन छाल 10 ग्राम ,8 गुना दूध एव 32 गुणा पानी लेकर इनको मिलाकर उबालें। जब सारा पानी उड जाये एव दूध बचे तब इसे छान कर रोगी को दिन में दो बार सेवन करवाए। ये सभी विकार जल्द ही दूर हो जायगे।

    ह्रदय की कमजोरी में अर्जुन छाल के चूर्ण के साथ गाय का धी एव मिश्री मिलाकर सेवन करवाए। ह्रदय को बल मिलेगा।

    अन्य रोगो में अर्जुन छाल के उपयोग व् फायदे :-

    दस्त के साथ खून आता हो तो अर्जुन की छाल को बकरी के दूध मिलाकर थोड़ा शहद मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है।

    रक्त अशुद्धि के कारण त्वचा विकारो में :- मन्जिष्ट के चूर्ण के साथ अर्जुन का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से रक्त की अशुद्वि मिटती है एव त्वचा कांतिमय बनती है।

    अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करें :- सुबह श्याम 2 से 3 ग्राम की मात्रा में इसे इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर चूर्ण का सेवन करने में परेशानी हो तो साथ में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन किया जा सकता है।

    कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या-क्या लाभ और हानि हो सकती है, जानिए

    सोना :- सोना एक गर्म धातु है , सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आतंरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान ,ताकतवर बनते है और साथ ही साथ सोना आँखों की रोशनी भी बढ़ाता है।

    चांदी :- चांदी एक ठंडी धातु है , जो शरीर को आतंरिक ठंडक पहुँचाती है , शरीर को शांत रखती है, इसके पात्र में भोजन में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आंखे स्वस्थ रहती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष नियंत्रित रहता है।

    कांसा :- कांसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है रक्त में शुद्ता आती है रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ती है। कांसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है। काँसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 % ही पोषक तत्व नष्ठ होते है ा

    तांबा :- तांबे बे बर्तन में रखा पानी पिने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है रक्त शुद्ध होता है स्मरण शक्ति अच्छी होती है लिवर संबधी समस्या दूर होती है , तांबे का पानी शरीर के विषेले तत्वो को ख़त्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है। तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है।

    पीतल :- के बर्तन में भोजन पकने और करने से कृमि रोग कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 % पोषक तत्व नष्ट होते है।

    लोहा :- लोहा के बर्तन में बने भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढत्ती है लोहा तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है।

    लोहा कई रोग को ख़त्म करता है पांडु रोग मिटाता है शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता , कामला रोग को ख़तम करता है। और पीलिया रोग को दूर रखता है लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है।

    स्टील : स्टील के बर्तन नुकसान दायक नहीं होते है क्योकि ये न ही गर्म से क्रिया करते है और न ही अम्ल से इसलिए इससे कोई नुकसान नहीं होता है

    एल्युमिनियम :- एल्युमिनियम बोक्साईट का बना होता है ा इससे बने खाने से शरीर को केवल नुकसान ही होता है।

    यह आयरन और कैल्शियम को सोख्ता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए।

    इससे हड्डिया कमजोर होती है , मानसिक बीमारिया ,लिवर नर्वस सिष्टम को हानि होती है उसके साथ साथ किडनी फेल होना टी बी अस्थमा दमा वात रोग शुगर जैसी गंभीर बीमारिया होती है एल्युमिनियम के प्रेशर कुकर से खाना बनाने से 87 % पोषक तत्व खत्म को जाते है।

    मिट्टी :- मिट्टी के बर्तन में खाना पकने से बहुत सारे ऐसे पोषक तत्व मिलते है , जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते है।

    इस बात लो अब आधुनिक विज्ञानं भी साबित कर चूका है कि मिटटी के बर्तन में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते है ा आयुर्वेद के अनुसार अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिस्ट बनाना है तो उसे धीरे धीरे पकाना चाहिए ा भले ही मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने में समय अधिक लगता है , लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है।

    दूध और दूध से बने उत्पादों ले लिए सबसे उपयुक्त है मिट्टी के बर्तन

    मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पुरे 100 % पोषक तत्व मिलते है यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग ही स्वाद भी आता है।

    उपयोगी घरेलू नुस्खे –

    साधारण छोटे छोटे प्रयोग जिनको आप अवश्य अपनाये ा कुछ प्रयोग नीचे दिए गए है, जो आपके घर में ही उपलब्ध है ा

    (1 ) अजवायन का साप्ताहिक प्रयोग :- सुबह खाली पेट सप्ताह में बार एक चम्मच अजवायन मुँह में रखें ,और पानी से निगल लें ा चबाए नहीं यह सर्दी,ख़ासी , जुखाम , बदनदर्द , कमरदर्द पेटदर्द कब्जियत और घुटनों के दर्द से दूर रखेगा ा 10 वर्ष के बच्चों को 2 ग्राम 10 वर्ष से ऊपर 5 ग्राम लेना चहिये

    (2 ) मौसमी ख़ासी के किया सेंधा नमक :- सेंधा नमक के लगभग 5 ग्राम डली को चिमटे से पकड़कर आग पर या तवे पर अच्छी तरह गर्म के ले जब लाल होने लगे तब गर्म डली को तुरंत आधा कप पानी में डुबो क्र निकल लें और नमकीन गर्म पानी को एक ही बार में पी जाए ा ऐस नमकीन पानी सोते समय लगातार 2 -3 दिन पिने से ख़ासी विशेष कर बलगम वाली ख़ासी से आराम के लिए बहुत ही कारगर उपाये है

    (3) गला बैठ जाने पर मुलेठी का चूर्ण :- मुलेठी के चूर्ण को पान के पते में रखकर खाने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है ा या सोते समय एक ग्राम मुलेठी के चूर्ण को मुँह में रख कर कुछ देर चबाते रहे ा प्रातकाल तक गला साफ हो जायेगा

    (4) मुँह और गले के कष्टों के लिए सौंफ और मिश्री :- भोजन के बाद दोनों समय आधा चम्मच सौंफ और मिश्री चबाने से मुँह की अनेक बीमारिया और सुखी ख़ासी दूर होती है ा बैठी हुई आवाज़ खुल जाती है , गले की खुस्की ठीक होती है और आवाज़ मधुर हो जाती है ा

    (5) खराब या सुखी ख़ासी के लिया अदरक और गुड़ :- गले में खराब या सुखी ख़ासी होने पर पिसी हुई अदरक में गुड़ और घी मिलाकर खाए ा गुड़ और घी के स्थान पर केवल शहद का प्रयोग भी किया जा सकता है आराम मिलेगा ा

    (6) पेट में कीड़ो के लिए अजवायन और नमक :- आधा ग्राम अजवायन चूर्ण में अपने स्वाद अनुसार काला नमक मिलाकर रात्रि के समय रोजाना गर्म पानी से देने से बच्चों पेट के कीड़े नष्ट होते है , बड़ो के लिए मात्रा को दुगना कर ले

    (7) अरुचि के लिए मुनका हरड़ और देशी शक़्कर :- भूख न लगती हो तो बराबर मात्रा में मुन्नका (बीज निकल दे ) हरड़ और देशी शक्कर को पीसकर चटनी बना ले ा इसे एक चम्मच शहद कर भोजन से पहले दिन में दो बार अंगुली से चाटे ा

    (8) बदन के दर्द में कपूर और सरसो का तेल :- 10 ग्राम कपूर , 200 ग्राम सरसो का तेल दोनों को शीशी में भरकर मजबूत ठकन लगा दे शीशी धुप में रखे जब दोनों पथर्त मिलकर एक रस होकर घुल जाए , तब इस तेल की मालिश से नशों का दर्द शीघ्र ही ठीक हो जाता है

    (9) पेट में वायु -गैस के लिए मट्ठा और अजवायन :- पेट में वायु बनने पर भोजन के बाद 125 ग्राम दही के मट्ठे में दो ग्राम अजवायन और आधा ग्राम कला नमक मिलाकर खाने से वायु गैस मिटती है

    अक्षय तृतीया पर आज जानिए खरीदारी का शुभ मुहूर्त ,महत्व और पूजा विधि

    सार

    इस वर्ष अक्षय तृतीया पर बहुत ही शुभ और दुर्लभ संयोग बना हुआ है ा सौ वर्षो बाद अक्षय तृतीया पर गजकेसरी योग का संयोग है

    इसके अलावा अक्षय तृतीया पर धन ,शुक्रादित्य ,रवि ,शश और सुकर्मा योग का निर्माण हुआ है

    विस्तार

    आज अक्षय तृतीया का पर्व है सनातन धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व होता है अक्षय तृतीया एक अभूझ मुहूर्त की तिथि होती है इस अबूझ मुहूर्त में किसी भी तरह का शुभ कार्य बिना मुहूर्त के विचार किए सम्पन किया जा सकता है हिन्दू पंचाग के अनुसार हर वर्ष यह पावन पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है ा अक्षय का मतलब होता है कि जिसका कभी अक्ष न हो ा अक्षय तृतीया पर सोने चांदी के आभुषण और अन्य तरह की चीजों की खरीदारी करने का विशेष महत्व होता है अक्षय तृतीया के दिन माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा उपासना करने से जीवन में सुख-समृदि और धन -वैभव की प्राप्ति होती है पौराणिक महत्व के नजरिए से अक्षय तृतीया बहुत ही खास तिथि मानी जाती है ा इस तिथि पर ही त्रेता और सतयुग का आरभ हुआ था ा अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था ा अक्षय तृतीया के दिन महर्षि वेद व्यास जी ने भगवान श्री गणेश जी के साथ महाभारत लिखना आरभ की था ा अक्षय तृतीया के दिन ही बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलते है और चारों धाम यात्रा शुरू होती है ा इसके अलावा अक्षय तृतीयाके दिन ही भगवान बांके बिहारी के चरणों के दर्शन होते है ा अक्षय तृतीया पर खरीदारी करना काफी शुभ माना जाता है

    अक्षय तृतीया शुभ तिथि

    आज यानि 10 मई, दिन शुक्रवार को अक्षय तृतीया है ा हिन्दू पंचाग के अनुसान वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 10 मई को सुबह 4 बजकर 17 मिनट से शुरू हो गई है और जिसका समापन 11 मई को रात 2 बजकर 50 मिनट पर होगा

    अक्षय तृतीया खरीदारी का शुभ मुहूर्त

    अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना गया है ा इस दिन हर तरह के शुभ कार्य बिना पंचाग देखे किया जा सकता है ा अक्षय तृतीया पर माँ लक्ष्मी की पूजा और सोने चाँदी की खरीदारी के लिए मुहूर्त 10 मई को सुबह 5 बजकर 33 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा ा

    अक्षय तृतीया पूजा विधि

    अक्षय तृतीया के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करे और पूजा का संकल्प लेते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करें ा इसके बाद पिले रंग का कपडा पहनकर पूजा स्थल पर बैठकर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराए फिर तुलसी,पिले फूल ,धुप जलाए ा फिर इसके बाद भगवान को भोग अर्पित करके विष्णु चालीसा और माता लक्ष्मी की आरती करे ा

    दालचीनी से दूर करें कई बीमारियाँ

    सामान्यत: दालचीनी मसालों के रूप में काम में ली जाती है।

    लेकिन यह पेट रोग, इंफ्यूएंजा, टाइफाइड, टीबी और कैंसर जैसे रोगों में बहुत उपयोगी होती है।

    दालचीनी का तेल भी बनता है।

    दालचीनी, साबुन, दांतों के मंजन, पेस्ट, चाकलेट, सुगंध व उत्तेजक के रूप में काम में आती है।

    चाय, काफी में दालचीनी डालकर पीने से स्वाद बढ़ जाता है, तथा जुकाम भी ठीक हो जाता है।

    दालचीनी के कुछ उपयोगी घरेलू प्रयोग..

    • दालचीनी का तेल दर्द, घावों और सूजन को नष्ट करता है।
    • दालचीनी को तिल के तेल, पानी, शहद में मिलाकर उपयोग करना चाहिए।
      दर्द वाले स्थान पर मालिश करने से बहुत आराम मिलता है ।
      मालिश अगर दिन में करें तो 2-3 घंटे के बाद धोयें । रात्रि में मालिश करने के बाद इसे सबेरे धोयें ।
    • दालचीनी त्वचा को निखारती है तथा खुजली के रोग को दूर करती है।
    • दालचीनी सेहत के लिए लाभकारी है। यह पाचक रस का निर्माण करती है। दांतों की समस्याओं को दूर करने में भी यह उपयोगी है।
    • रात को सोते समय नियमित रूप से एक चुटकी दालचीनी पाउडर शहद के साथ मिलाकर लेने से मानसिक तनाव में राहत मिलती है और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
    • दालचीनी का नियमित प्रयोग मौसमी बीमारियों को दूर रखता है।
    • ठंडी हवा से होने वाले सिरदर्द से राहत पाने के लिए दालचीनी के पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं।
    • दालचीनी पाउडर में नीबू का रस मिलाकर लगाने से मुंहासे व ब्लैकहैड्स दूर होते हैं।
    • डायरिया व जी मिचलाने में भी औषधी के रूप में काम में लाई जाती है दालचीनी ।
    • मुंह से बदबू आने पर दालचीनी का छोटा टुकड़ा चूसें। यह एक अच्छी माउथ फ्रेशनर भी है।
    • दालचीनी में एंटीएजिंग तत्त्व उपस्थित होते हैं। एक नीबू के रस में दो बड़े चम्मच जैतून का तेल, एक कप चीनी, आधा कप दूध, दो चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर पांच मिनट के लिए शरीर पर लगाएं। इसके बाद नहा लें, त्वचा खिल उठेगी।
    • दालचीनी पाउडर की तीन ग्राम मात्रा सुबह शाम पानी के साथ लेने पर दस्त बंद हो जाते हैं
    • आर्थराइटिस का दर्द दूर भगाने में शहद और दालचीनी का मिश्रण बड़ा कारगर है।
    • गंजेपन या बालों के झड़ने की समस्या से छुटकारा पाने के लिए गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाकर सिर पर लगायें ।
    • दालचीनी पाउडर और शहद के पेस्ट को दांत दर्द वाली जगह पर लगाने से फौरन राहत मिलती है।
    • सर्दी जुकाम हो तो एक चम्मच शहद में एक चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर दिन में तीन बार खाएं। पुराने कफ और सर्दी में भी राहत मिलेगी।
    • शहद के साथ दालचीनी पाउडर लेने पर पेट के दर्द से राहत मिलती है।
    • खाली पेट रोजाना सुबह एक कप हल्के गुनगुने पानी में शहद और दालचीनी पाउडर मिलाकर पीने से फैट कम होता है। इससे मोटे से मोटा व्यक्ति भी दुबला हो जाता है।