कमर दर्द, साइटिका दर्द, पिंडलियों का दर्द, पैरों का दर्द, घुटने का दर्द, एड़ी का दर्द के कारणों के बारे में बात करेंगे।
हमारे शरीर मे बहुत सारी हड्डियां होती हैं और इनमें से 26 हड्डियाँ केवल पैरों में होती हैं। पैरों की हड्डियाँ जो सारे शरीर का वजन उठाती हैं उसमें भी सबसे लंबी हड्डी केल्केनियस होती है जो एड़ी में होती है। इस हड्डी का काम हमें चलने, भागने-दौड़ने में मदद करने के साथ ही शरीर में संतुलन भी बनाए रखना है।
हमारे जानकारों का कहना है कि जब हम पैदल चलते हैं तो हमारे पैर पर शरीर के वजन का 1.25 गुना भार और दौड़ने पर 2.75 गुना अधिक भार पड़ता है।
कुछ कारण निम्न हो सकते हैं जिन पर व्यक्ति का नियंत्रण नही होता।
अर्थराइट्स या गाउट का होना।
शरीर में न्यूट्रिशियन का कम होना।
उम्र के साथ पैरों के मांस का कम हो जाना।
पैर की हड्डी का बढ़ना।
हारमोन संबंधी दवाइयाँ अधिक लेना।
डाइबिटिक होना।
मांसपेशियों में सूजन आना ।
8.हड्डी का घिस जाना या कैल्शियम कम हो जाना।
कुछ ऐसे कारण होते हैं जिन्हें हम खुद करते हैं लेकिन हमें पता ही नही चलता।
आपने बच्चों को देखा होगा चलते हुए। वे हमेशा पंजे पर चलते फिरते और दौड़ते रहते हैं।
लेकिन जैसे जैसे उम्र बढ़ती है पेट बाहर, कमर अंदर को दबा कर, एड़ी पर जोर देते हुए, पैरो को जमीन पर रगड़ते हुए चलने लगते हैं।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए आज से आप यह नियम अवश्य बनाएं
चलते समय पैरों के पंजे को बिल्कुल सीधा रखें।
चलते हुए एड़ी पर दबाव नही देंगे।
सुबह शाम 10 मिनट पंजे पर अवश्य चला करेंगे।
खाने के साथ कोई भी लिक्विड नही लेंगे, पानी भी नही।
खड़े होकर पानी बिल्कुल नहीं पीयेंगे ।
घुटनों पर तेल लगाकर 5 बार उठक बैठक करेंगे।
7.सप्ताह में 2 बार पैरों की मालिश जरूर करेंगे ।
शरीर के वजन पर नियंत्रण रखेंगे।
घुटनों में दर्द हो तो उकड़ूँ बैठना शुरू/कोशिश करें जिससे जोड़ो में जकड़न न हो।
पेट के रोग दूर करने के लिये मट्ठा:- मट्ठे में काला नमक और भुना जीरा मिलाएँ और हींग का तड़का लगा दें। ऐसा मट्ठा पीने से हर प्रकार के पेट के रोग में लाभ मिलता है। मट्ठा बासी या खट्टा नहीं होना चाहिये!
खुजली की घरेलू दवा:- फिटकरी के पानी से खुजली की जगह को धोकर साफ करें, उस पर कपूर को नारियल के तेल में मिलाकर लगाएँ लाभ होगा!
मुहाँसों के लिये संतरे के छिलके:– संतरे के छिलके को पीसकर मुहाँसों पर लगाने से वे जल्दी ठीक हो जाते हैं। नियमित रूप से 5 मिनट तक रोज संतरों के छिलके का पिसा हुआ मिश्रण चेहरे पर लगाने से मुहाँसों के धब्बे दूर होकर रंग में निखार आ जाता है!
बंद नाक खोलने के लिये अजवायन की भाप:– एक चम्मच अजवायन पीस कर गरम पानी के साथ उबालें और उसकी भाप लें। कुछ ही मिनटों में आराम महसूस होगा!
चर्मरोग के लिये टेसू और नीबू:- टेसू के फूल को सुखाकर चूर्ण बना लें। इसे नीबू के रस में मिलाकर लगाने से हर प्रकार के चर्मरोग में लाभ होता है!
माइग्रेन के लिये काली मिर्च, हल्दी और दूध:- एक बड़ा चम्मच काली मिर्च का चूर्ण एक चुटकी हल्दी के साथ एक प्याले दूध में उबालें। दो तीन दिन तक लगातार सेवन करें। माइग्रेन के दर्द में आराम मिलेगा!
गले में खराश के लिये जीरा:- एक गिलास उबलते पानी में एक चम्मच जीरा और एक टुकड़ा अदरक डालें 5 मिनट तक उबलने दें। हल्का गुनगुना दिन में दो बार पीयें । गले की खराश और सर्दी दोनों में लाभ होगा!
सर्दी जुकाम के लिये दालचीनी और शहद:- एक ग्राम पिसी दालचीनी में एक चम्मच शहद मिलाकर खाने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है!
टांसिल्स के लिये हल्दी और दूध:- एक प्याला (200ml.) दूध में आधा छोटा चम्मच (2 ग्राम) पिसी हल्दी मिलाकर उबालें। छानकर शक्कर मिलाकर पीने को दें। विशेष रूप से सोते समय पीने पर तीन चार दिन में आराम मिल जाता है। रात में इसे पीने के बाद मुँह साफ अवश्य करना चाहिये ।
ल्यूकोरिया से मुक्ति:- ल्यूकोरिया नामक रोग कमजोरी व चिड़चिड़ापान के साथ – साथ चेहरे की चमक भी उड़ा ले जाता हैं। इससे बचने का एक आसान सा उपाय- एक-एक पका केला सुबह और शाम को पूरे एक छोटे चम्मच देशी घी के साथ खा जाएँ 11-12 दिनों में आराम दिखाई देगा। इस प्रयोग को 21 दिनों तक जारी रखना चाहिए!
मधुमेह के लिये आँवला और करेला:- एक प्याला करेले के रस में एक बड़ा चम्मच आँवले का रस मिलाकर रोज पीने से दो महीने में मधुमेह के कष्टों से आराम मिल जाता है!
उच्च रक्तचाप के लिये मेथी:- सुबह उठकर खाली पेट आठ-दस मेथी के दाने निगल लेने से उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में काफी सफलता मिलती है!
माइग्रेन और सिरदर्द के लिये सेब:- सिरदर्द और माइग्रेन से परेशान हों तो सुबह खाली पेट एक सेब नमक लगाकर खाएँ इससे आराम आ जाएगा!
अपच के लिये चटनी:- खट्टी डकारें, गैस बनना, पेट फूलना, भूख न लगना इनमें से किसी चीज से परेशान हैं तो गन्ने या सेव के सिरके में प्याज और अदरक पीस कर चटनी बनाएँ, इस चटनी में काला नमक डालें। एक सप्ताह तक प्रतिदिन भोजन के साथ लें, आराम आ जाएगा!
मुहाँसों से मुक्ति:- जायफल, काली मिर्च और लाल चन्दन तीनों का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें! रोज सोने से पहले 2-3 चुटकी पावडर हथेली पर लेकर उसमें इतना पानी मिलाए कि उबटन जैसा बन जाए खूब मिलाएँ और फिर उसे चेहरे पर लगा लें और सो जाएँ, सुबह उठकर सादे पानी से चेहरा धो लें। 15 दिन तक यह काम करें। इसी के साथ प्रतिदिन 250 ग्राम मूली खाएँ ताकि रक्त शुद्ध हो जाए और अन्दर से त्वचा को स्वस्थ पोषण मिले। 15-20 दिन में मुहाँसों से मुक्त होकर त्वचा निखर जाएगी!
जलन की चिकित्सा चावल से:- कच्चे चावल के 8-10 दाने सुबह खाली पेट पानी से निगल लें। 21 दिन तक नियमित ऐसा करने से पेट और सीने की जलन में आराम आएगा। तीन माह में यह पूरी तरह ठीक हो जाएगी!
दाँतों के कष्ट में तिल का उपयोग:- तिल को पानी में 4 घंटे भिगो दें फिर छान कर उसी पानी को मुँह में भरें और 10 मिनट बाद उगल दें। चार पाँच बार इसी तरह कुल्ला करे, मुँह के घाव, दाँत में सड़न के कारण होने वाले संक्रमण और पायरिया से मुक्ति मिलती है!
खाँसी में प्याज:- अगर बच्चों या बुजुर्गों को खांसी के साथ कफ ज्यादा गिर रहा हो तो एक चम्मच प्याज के रस को चीनी या गुड़ मिलाकर चटा दें, दिन में तीन चार बार ऐसा करने पर खाँसी से तुरंत आराम मिलता है!
स्वस्थ त्वचा का घरेलू नुस्खा :- नमक, हल्दी और मेथी तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें, नहाने से पाँच मिनट पहले पानी मिलाकर इनका उबटन बना लें। इसे साबुन की तरह पूरे शरीर में लगाएँ और 5 मिनट बाद नहा लें। सप्ताह में एक बार प्रयोग करने से घमौरियों, फुंसियों तथा त्वचा की सभी बीमारियों से मुक्ति मिलती है। साथ ही त्वचा मुलायम और चमकदार भी हो जाती है!
पेट साफ रखे अमरूद:- कब्ज से परेशान हों तो शाम को चार बजे कम से कम 200 ग्राम अमरुद नमक लगाकर खा जाएँ, फायदा अगली सुबह से ही नज़र आने लगेगा। 10 दिन लगातार खाने से पुरानी से पुरानी कब्ज में लाभ होगा। बाद में जब कभी आवश्यकता महसूस हो तब दुबारा खाएँ।
बीज पपीते के, स्वास्थ्य हमारा:- पके पपीते के बीजों को खूब चबा चबा कर खाने से आँखों की रोशनी बढ़ती है। इन बीजों को सुखा कर पावडर बना कर भी रखा जा सकता है। सप्ताह में एक बार एक चम्मच पावडर पानी से फाँक लेने पर अनेक प्रकार के रोगाणुओं से रक्षा होती है.!
मुलेठी पेप्टिक अलसर के लिये:- मुलेठी के बारे में तो सभी जानते हैं। यह आसानी से बाजार में भी मिल जाती है।
पेप्टिक अल्सर में मुलेठी का चूर्ण अमृत की तरह काम करता है। बस सुबह शाम आधा चम्मच पानी से निगल जाएँ।
यह मुलेठी का चूर्ण आँखों की रौशनी भी बढ़ाता है। आँखों के लिये इसे सुबह आधे चम्मच से थोड़ा सा अधिक पानी के साथ लेना चाहिये.!
सरसों का तेल केवल पाँच दिन:- रात में सोते समय दोनों नाक में दो -दो बूँद सरसों का तेल पाँच दिनों तक लगातार डालें तो खाँसी-सर्दी और साँस की बीमारियाँ दूर हो जाएँगी। सर्दियों में नाक बंद हो जाने के दुख से मुक्ति मिलेगी और शरीर में हल्कापन मालूम होगा!
भोजन से पहले अदरक भोजन करने से दस मिनट पहले अदरक के छोटे से टुकडे को सेंधा नमक में लपेट कर (थोड़ा ज्यादा मात्रा में) अच्छी तरह से चबालें। दिन में दो बार इसे अपने भोजन का आवश्यक अंग बना लें, इससे हृदय मजबूत और स्वस्थ बना रहेगा, दिल से सम्बंधित कोई भी बीमारी नहीं होगी और निराशा व अवसाद से भी मुक्ति मिल जाएगी.!
अजवायन का साप्ताहिक प्रयोग:- सुबह खाली पेट सप्ताह में एक बार एक चम्मच अजवायन मुँह में रखें और पानी से निगल लें लेकिन चबाएँ नहीं। यह सर्दी, खाँसी, जुकाम, बदन दर्द, कमर दर्द, पेट दर्द, कब्जियत और घुटनोंके दर्द से दूर रखेगा। 10 साल से नीचे के बच्चों को आधा चम्मच 2 ग्राम और 10 से ऊपर सभी को एक चम्मच यानी 5 ग्राम लेना चाहिए।
शिमला मिर्च को कौन नहीं जानता? हर भारतीय रसोई में इसे देखा जा सकता है। इसे बड़े चाव से सब्जी के तौर पर खाया जाता है। शिमला मिर्च को अन्य सब्जियों में मिलाकर न सिर्फ उनकी रंगत बेहतर की जाती है, बल्कि इसे अन्य सब्जियों में मिलाने पर उनका जायका भी अच्छा हो जाता है।
जानकारों के अनुसार शिमला मिर्च की सब्जी खाने से वजन कम होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट और वसा कम मात्रा में होती है! इसलिए यह शरीर को स्वस्थ रखने में मददगार होती है।
जो लोग अक्सर शिमला मिर्च का सेवन करते हैं, उन्हें कमर दर्द, सायटिका और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याएं कम होती हैं। शिमला मिर्च में पाया जाने वाला प्रमुख रसायन केप्सायसिन दर्द निवारक माना जाता है।
शिमला मिर्च में भरपूर मात्रा में, विटामिन ए, बी और सी पाए जाते हैं। इसीलिए यह एक टॉनिक की तरह भी काम करता है।
शिमला मिर्च को आदिवासी कोलेस्ट्रॉल की अचूक दवा मानते हैं।
आधुनिक शोधों से ज्ञात हुआ है कि शिमला मिर्च शरीर की मेटाबॉलिक क्रियाओं को सुनियोजित करके ट्रायग्लिसेराईड को कम करने में मदद करती है।
आधुनिक शोधों के अनुसार शिमला मिर्च में बीटा केरोटीन, ल्युटीन और जिएक्सेन्थिन और विटामिन-सी जैसे महत्वपूर्ण रसायन पाए जाते हैं। शिमला मिर्च के लगातार सेवन से शरीर बीटा केरोटीन को रेटिनोल में परिवर्तित कर देता है। रेटिनोल वास्तव में विटामिन ए का ही एक रूप है। इन सभी रसायनों के संयुक्त प्रभाव से दिल से संबंधित बीमारियों, ओस्टियोआर्थरायटिस, ब्रोंकायटिस, अस्थमा जैसी समस्याओं में जबरदस्त फायदा होता है।
शिमला मिर्च में लाइकोपिन भी पाया जाता है। यह तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्या को दूर करने में बहुत कारगर होता है।
शिमला मिर्च उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड प्रेशर) के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद होती है।
1 एक सस्ता और आसान सा दिखने वाला चना हमारे सेहत के लिए कितना फायदेमंद है जानिये…
2 काले चने भुने हुए हों, अंकुरित हों या इसकी सब्जी बनाई हो, यह हर तरीके से सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं।
3 इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स, फाइबर, कैल्शियम, आयरन और विटामिन्स पाए जाते हैं।
4 शरीर को सबसे ज्यादा फायदा अंकुरित काले चने खाने से होता है, क्योंकि अंकुरित चने क्लोरोफिल, विटामिन ए, बी, सी, डी और के, फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैग्नीशियम और मिनरल्स का अच्छा स्रोत होते हैं। साथ ही इसे खाने के लिए किसी प्रकार की कोई खास तैयारी नहीं करती पड़ती। रातभर भिगोकर सुबह एक-दो मुट्ठी खाकर हेल्थ अच्छी हो सकती है।
5 चने ज्यादा महंगे भी नहीं होते और इसमें बीमारियों से लड़ने के गुण भी छिपा हुए हैं। कब्ज से राहत मिलती है, चने में मौजूद फाइबर की मात्रा पाचन के लिए बहुत जरूरी होती है।
रातभर भिगोए हुए चने से पानी अलग कर उसमें नमक, अदरक और जीरा मिक्स कर खाने से कब्ज जैसी समस्या से राहत मिलती है। साथ ही जिस पानी में चने को भिगोया गया था, उस पानी को पीने से भी राहत मिलती है। लेकिन कब्ज दूर करने के लिए चने को छिलके सहित ही खाएं।
6 ये एनर्जी बढ़ाता है। कहा तो यहाँ तक जाता है इंस्टेंट एनर्जी चाहिए, तो रात भर भिगोए हुए या अंकुरित चने में हल्का सा नमक, नींबू, अदरक के टुकड़े और काली मिर्च डालकर सुबह नाश्ते में खाएं, बहुत फायदेमंद होता है। चने का सत्तू भी खा सकते हैं। यह बहुत ही फायदेमंद होता है। गर्मियों में चने के सत्तू में नींबू और नमक मिलाकर पीने से शरीर को एनर्जी तो मिलती ही है, साथ ही भूख भी शांत होती है।
7 पथरी की प्रॉब्लम दूर करता है। दूषित पानी और खाने से आजकल किडनी और गॉल ब्लैडर में पथरी की समस्या आम हो गई है। हर दूसरे-तीसरे आदमी के साथ स्टोन की समस्या हो रही है। इसके लिए रातभर भिगोए हुए काले चने में थोड़ी सी शहद की मात्रा मिलाकर खाएं। रोजाना इसके सेवन से स्टोन के होने की संभावना काफी कम हो जाती है और अगर स्टोन है तो आसानी से निकल जाता है। इसके अलावा चने के सत्तू और आटे से मिलकर बनी रोटी भी इस समस्या से राहत दिलाती है।
8 काला चना शरीर की गंदगी को पूरी तरह से बाहर भी निकालता है।
अन्य फायदे… एनर्जी बढ़ाता है, डायबिटीज से छुटकारा मिलता है, एनीमिया की समस्या दूर होती है, बुखार में पसीना आने की समस्या दूर होती है, पुरुषों के लिए फायदेमंद, हिचकी में राहत दिलाता है, जुकाम में आराम मिलता है, मूत्र संबंधित रोग दूर होते हैं, त्वचा की रंगत निखारता है।
9 डायबिटीज से छुटकारा दिलाता है। चना ताकतवर होने के साथ ही शरीर में एक्स्ट्रा ग्लूकोज की मात्रा को कम करता है जो डायबिटीज के मरीजों के लिए कारगर होता है। लेकिन इसका सेवन सुबह सुबह खाली पेट करना चाहिए। चने का सत्तू डायबिटीज़ से बचाता है। एक से दो मुट्ठी ब्लड चने का सेवन ब्लड शुगर की मात्रा को भी नियंत्रित करने के साथ ही जल्द आराम पहुंचाता है।
10 एनीमिया की समस्या दूर होती है। शरीर में आयरन की कमी से होने वाली एनीमिया की समस्या को रोजाना चने खाकर दूर किया जा सकता है। चने में शहद मिलाकर खाना जल्द असरकारक होता है। आयरन से भरपूर चना एनीमिया की समस्या को काफी हद तक कम कर देता है। चने में 27% फॉस्फोरस और 28% आयरन होता है जो न केवल नए बल्ड सेल्स को बनाता है, बल्कि हीमोग्लोबिन को भी बढ़ाता है।
11 बुखार में ज्यादा पसीना आने पर भुने हुए चने को पीसकर, उसमें अजवायन मिलाएं। फिर इससे मालिश करें। ऐसा करने से पसीने की समस्या खत्म हो जाती है। @भुने हुए चने का सेवन करने से बार-बार पेशाब जाने की बीमारी दूर होती है। साथ ही गुड़ व चना खाने से यूरीन से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या में राहत मिलती है। रोजाना भुने हुए चनों के सेवन से बवासीर ठीक हो जाती है।
12 पुरुषत्व के लिए फायदेमंद चीनी मिट्टी के बर्तन में रात भर भिगोए हुए चने को चबा चबाकर खाना पुरुषों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। पुरुषों की कई प्रकार की कमजोरी की समस्या खत्म होती है। जल्द असर के लिए भीगे हुए चने के साथ दूध भी पिएं। भीगे हुए चने के पानी में शहद मिलाकर पीने से पुरुषत्व बढ़ता है।
13 त्वचा की रंगत निखारता है। चना केवल हेल्थ के लिए ही नहीं, स्किन के लिए भी बहुत फायदेमंद है। चना खाकर चेहरे की रंगत को बढ़ाया जा सकता है। वैसे चने के बेसन को हल्दी के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। नहाने से पहले बेसन में दूध या दही मिक्स करें और इसे चेहरे पर 15-20 लगा रहने दें। सूखने के बाद ठंडे पानी से धो लें। रंगत के साथ ही कील मुहांसों, दाद-खुजली और त्वचा से जुड़ी कई प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं।
14 युवा महिलाओं को हफ्ते में कम से कम एक बार चना और गुड़ खाना चाहिए। गुड़ आयरन का समृद्ध स्रोत है और चने में बड़ी मात्रा में प्रोटीन होता है। ये दोनों मिलकर महिलाओं की माहवारी के दौरान होने वाले रक्त की कमी को पूरा करते हैं,तथा सभी महिलाओं को आने वाले माघ महीने में हर रोज कम से कम 40-60 मिनट धूप में बैठकर तिल के लड्डू या गजक खाने चाहिए, जिसमें कैल्शियम की मात्रा काफी ज्यादा होती है। इससे उनके शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी पूरी हो जाएगी।
1– हमारी स्किन के लिए शहद काफी लाभप्रद होता है । स्किन के जलने ,खरोंच या लाल चकत्ते होने या सूजन आ गई हो,तो शहद का इस्तेमाल करना काफी लाभदायक होता है । शहद स्किन की सभी बीमारियों से निजात दिलाने में सहायक है। सिर्फ यही नहीं, शहद के सेवन करने से एक्जिमा, दाद और अन्य त्वचा विकारों का भी प्रभावशाली तरीके से उपचार हो जाता है।
2–चेहरे के दाग धब्बे और झुर्रियों को दूर करने के लिए भी शहद को वरदान माना जाता है।शहद में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और नमी प्रदान करने वाले गुण दाग-धब्बों को दूर कर त्वचा में नई जान भर देते हैं। चेहरे की खुश्की दूर करने के लिए शहद, मलाई, बेसन व हल्दी का उबटन लगाना चाहिए। इससे चेहरे पर चमक भी आ जाती है।
3–शहद में एंटीसेप्टिक, एंटीबैक्टीरियल और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। इसलिए इसे घावों, कटे और जले हुए स्थानों तथा खरोंच पर लगाया जाता है। शहद से उपचार करने के बाद शरीर पर जले के निशान भी हट जाते हैं।
4–वजन कम करने में भी शहद बहुत फायदेमंद है। सबसे अच्छी बात यह है कि इससे किसी तरह का कोई नुकसान भी नहीं होता है। इससे बिना किसी नुकसान के वजन को आसानी से कम किया जा सकता है। यह मेटाबोलिज़्म को बढ़ाता है जिससे शरीर की अतिरिक्त वसा नष्ट हो जाती है। इसके लिए बस आपको सुबह खाली पेट नींबू पानी में शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए।
5–शहद को पानी में मिलाकर कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं। शहद दांत दर्द को भी दूर करने में मदद करता है। दांत दर्द होने पर रूई के फाहे को शहद में भिगोकर दर्द वाली जगह पर रखने से कुछ ही देर में दांत दर्द से राहत मिलती है।
6–औषधीय गुणों से भरपूर शहद का उपयोग अनेक बीमारियों को दूर करने में सहायक है।
7– शहद खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और मोतियाबिंद जैसी बीमारियों को भी शहद से दूर किया जा सकता है।
8–शहद का इस्तेमाल बालों के लिए भी काफी अच्छा होता है। ऑलिव आयल (जैतून तेल) के साथ शहद मिलाकर बालों में लगाने से बाल लंबे, घने और मुलायम हो जाते हैं । शहद बालों के झड़ने की समस्या को भी काफी हद तक रोकता है।
9–शहद हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से रक्त शुद्ध होता है और शरीर में खून की कमी भी दूर हो जाती है। इसमें विटमिन बी और विटामिन सी के साथ एंटीऑक्सीडेंट तत्व भी पाए जाते हैं, जो हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं।
10–शहद में एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं जो ट्यूमर को बनने से रोकते हैं और कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं । नियमित रूप से शहद का सेवन करने से पेट के कैंसर से भी बचा जा सकता है ।
11–दिल के रोगों से भी शहद हमें बचाता है। शहद के सेवन से दिल को मजबूती मिलती है । इससे हृदय को सुचारू रूप से कार्य करने में सहायता मिलती है । शुद्ध शहद के जरिये हृदय संबंधी रोगों से सुरक्षा के लिए प्रतिदिन एक चम्मच शहद का सेवन अवश्य करना चाहिए । नोट शुद्ध शहद ही इस्तेमाल करना चाहिए । शहद जितना पुराना होता जायेगा उसमें उतनी ही औषधीय गुणों में वृद्धि होती जाएगी । ऐसी कहावत भी है कि शुद्ध शहद , देशी गाय का शुद्ध घी व मिट्टी के घड़े में तैयार किया गया सिरका कभी खराब नहीं होता ,अर्थात जितना पुराना उतना ही अच्छा ।
(1). पौष्टिकता से भरा अखरोट… अक्सर यह कहा जाता है कि नट्स में वसा की मात्रा अधिक होती है अतः इसे वजन बढ़ाने वाला माना जाता है। लेकिन, हकीकत इससे जरा अलग है। अखरोट भी ऐसा ही ‘नट’ है। इसमें कई पौष्टिक तत्व होते हैं।
(2). वजन कम करे… अखरोट वजन कम करने में मदद करता है। एक औंस यानी करीब 28 ग्राम अखरोट में 2.5 ग्राम ओमेगा थ्री फैटी एसिड, 4 ग्राम प्रोटीन और 2 ग्राम फाइबर होता है जिससे लंबे समय तक भूख़ का अहसास खत्म करने की अनुभूति बनी रहती है। वजन कम करने के लिए जरूरी है कि आपका पेट भरा रहे। तो अगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो आपको अखरोट को अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए।
(3) नींद दिलाने में मददगार… नट्स आपकी नींद सुधार सकते हैं, इनमें मेलाटोनिन हॉरमोन होता है, जो नींद के लिए प्रेरित करना और नींद को नियंत्रित करता है। अगर आप शाम को या सोने से पहले अखरोट खायें तो इससे आपकी नींद में सुधार आएगा ।
(4). बालों के लिए फायदेमंद… अखरोट आपके बालों के लिए भी फायदेमंद होता है। अखरोट में मौजूद विटामिन बी-7 होता है जो आपके बालों को मजबूत बनाने का काम करता है। विटामिन बी-7 बालों का गिरना रोककर उन्हें बढ़ाने में मदद करता है।
(5) दिल की बीमारियों से बचाए… अखरोट में एंटी-ऑक्सीडेंट्स और ओमेगा थ्री फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होता है, जो इसे दिल की बीमारियों से लड़ने में काफी असरदार बनाता है। इसके साथ ही यह खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल में इजाफा करने का भी काम करता है, जो इसे आपके दिल के लिए और भी उपयोगी बनाता है।
(6). डायबिटीज से बचाये… एक शोध के मुताबिक जो महिलायें सप्ताह में दो बार 28 ग्राम अखरोट खाती हैं, उन्हें टाइप टू डायबिटीज होने का खतरा 24 फीसदी कम होता है। जर्नल ऑफ न्यूट्रीशन में प्रकाशित इस शोध में यह भी कहा गया कि हालांकि यह शोध महिलाओं पर किया गया था, लेकिन विशेषज्ञों का यह मानना है कि पुरुषों को भी अखरोट के इसी प्रकार के लाभ मिलने की उम्मीद है।
(7). शुक्राणु की गुणवत्ता बढ़ाये… रोजाना 2.5 औंस यानी करीब 75 ग्राम अखरोट रोजाना खाने से स्वस्थ युवा पुरुषों के शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार होता है। यूसीएल के शोधकर्ताओं का कहना है रोजाना अखरोट का पर्याप्त सेवन करने से 21 से 35 वर्ष की आयु के पुरुषों के शुक्राणुओं में अधिक जीवनशक्ति और गतिशीलता आती है।
(8). त्वचा चमकाये… अखरोट में बी-विटामिन और एंटी-ऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो आपकी त्वचा को फ्री-रेडिकल्स से बचाते हैं। इससे आपकी त्वचा को उम्र के निशान और झुर्रियों के प्रभाव से भी बचाया जा सकता है। तो अगर आप मिडिल एज में चमकदार त्वचा पाना चाहते हैं तो अखरोट का सेवन जरूर कीजिए।
(9). डिमेंशिया को रखे दूर… रोजाना अखरोट का सेवन आपको डिमेंशिया से दूर रखने में मदद करता है। शोध के मुताबिक अखरोट में मौजूद विटामिन ई और फ्लेवनॉयड डिमेंशिया उत्पन्न करने वाले हानिकारक फ्री-रेडिकल्स को नष्ट करने में मदद करते हैं। इसके साथ ही अखरोट याददाश्त की क्षमता को भी बढ़ाता है।
(10). गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद… गर्भवती महिलायें जो अखरोट जैसे फैटी एसिड युक्त आहार का सेवन करती हैं, उनके बच्चों को फूड एलर्जी होने की आशंका बहुत कम होती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि माताओं के आहार में पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड (पूफा) होता है जिससे उनके बच्चे का विकास अच्छी तरह होता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली कोशिकाओं को मजबूती मिलती है।
(11). स्तन कैंसर का खतरा घटाये… मार्शल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया रोजाना दो औंस यानी करीब 56 ग्राम अखरोट का सेवन स्तन कैंसर से बचाने में मदद करता है। रोजाना अखरोट का सेवन स्तन कैंसर होने से बचाता है।
(12). तनाव दूर भगाये… अगर रोजमर्रा का तनाव आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है, तो अब वक्त आ गया है कि आप अखरोट का सेवन शुरू कर दें। एक शोध के मुताबिक अखरोट अथवा उसके तेल को आहार में शामिल करने से तनाव के लिए जिम्मेदार रक्तचाप को दूर करने में मदद मिलती है। अखरोट में फाइबर, एंटी-ऑक्सीडेंट्स और असंतृप्त फैटी एसिड विशेषकर अल्फा लिनोलेनिक एसिड और ओमेगा थ्री फैटी एसिड मौजूद होते हैं।
मोरिंगा जिसे सहजन भी कहते हैं । मोरिंगा दुनियां का सबसे ताकतवर व शक्तिवर्धक आयुर्वेदिक औषधि है। सहजन 300 से अधिक रोगों के लिए अत्यंत कारगर औषधि है । इसकी जड़,तना, फूल,फल,पत्ती व गोन्द हर चीज़ बहुत ही उपयोगी है।
सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है
इसमें दूध की तुलना में 4 गुना कैल्शियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है। प्राकृतिक गुणों से युक्त यह सहजन इतने औषधीय गुणों से भरपूर है कि इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक है। यह सिर्फ खाने वाले के लिए ही नहीं, बल्कि जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है।
सहजन (मोरिंगा) एक पेड़ ही नहीं बल्कि मानव के लिए कुदरत का चमत्कार है… इनका सेवन कर कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है। इसका बॉटेनिकल नाम ‘ मोरिंगा ओलिफेरा‘ है। हिंदी में इसे सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा नाम से भी लोग जानते हैं, जिन्हें इसके औषधीय गुणों के बारे में पता है वे इसका जरूर सेवन करते हैं।
सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, साइटिका, गठिया आदि में उपयोगी है।
इसकी छाल का सेवन साइटिका, गठिया, लीवर में बहुत ही लाभकारी है। सहजन की छाल के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं।
इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, साइटिका, मधुमेह, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी लाभ देता है।
मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर इसमें सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच के स्थान पर लगाने से जल्दी ही लाभ मिलने लगता है।
सहजन की फली की सब्जी खाने से पुरानी से पुरानी गठिया रोग , जोड़ों के दर्द, वायु संचय व वात रोगों में बहुत लाभ होता है।
इसके ताजे पत्तों का रस कान में डालने से कान दर्द ठीक हो जाता है साथ ही इसकी सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी भी कटकर निकल जाती है।
सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना-
100 ग्राम सहजन फली में 5 गिलास दूध जितनी ताकत होती है।2. संतरे के मुकाबले में सात गुना अधिक मात्रा में बिटामिन C होती है।
विटामिन A भी गाजर से चार गुना अधिक होती है।
कैल्शियम भी दूध से चार गुना अधिक होता है।
पोटेशियम की मात्रा केले से तीन गुना अधिक होती है।
प्रोटीन की मात्रा भी दही की तुलना में तीन गुना अधिक होती है।
सहजन के फूल, फल, तना, जड़, छाल और पत्ती में गुण ही गुण हैं-
इसकी जड़ की छाल का काढ़ा सेंधा नमक और हींग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उल्टी-दस्त भी रोकता है।
ब्लड प्रेशर और मोटापा कम करने में भी कारगर है सहजन का रस ।इसे सुबह-शाम पीने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।
इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़े नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
इसके कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है इसके अलावा इसकी जड़ के काढ़े को सेंधा नमक और हींग के साथ पीने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।
इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सूजन ठीक होते हैं.!
पानी के शुद्धिकरण के रूप में कर सकते हैं इस्तेमाल.. सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीसकर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह पानी को स्वच्छ व निर्मल बना देता है । यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है, बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है।
काढ़ा पीने से क्या – क्या हैं फायदे…??
शरीर के किसी भी हिस्से में बनी गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने से काफी लाभ मिलता है । यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द), जोड़ों में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में लाभकारी है। कैंसर रोगियों के लिए भी अत्यंत प्रभावी है यह मोरिंगा ।
सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द, दमा आदि रोगों में अत्यंत लाभदायक माना जाता है। आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से वायरस से होने वाले रोग, जैसे चेचक आदि के होने का खतरा टल जाता है!
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है यह मोरिंगा..
सहजन में हाई मात्रा मे फोलिक एसिड होता है, जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। सहजन में विटामिन-सी की मात्रा बहुत होती है। यह शरीर में पनप रहे कई रोगों से लड़ता है।
सर्दी जुकाम..
यदि सर्दी की वजह से नाक-कान बंद हो चुके हैं तो, आप सहजन की पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
सहजन के 35 फायदे-
सहजन के फूल उदर रोगों व कफ रोगों में , तथा इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका, गठिया आदि में उपयोगी है।
सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी, प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग साईटिका, गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए अत्यंत लाभप्रद है।
सहजन के पत्तियों के रस को मधुर, वातघ्न, रुचिकारक, वेदनाशक, पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है।
सहजन की छाल के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से वात व कफ रोग शांत हो जाते हैं, इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साईटिका रोग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी लाभ मिलता है।
सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है।
सहजन को 80 प्रकार के दर्द व 72 प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है।
सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया और जोड़ों के दर्द व वायु संचय, वात रोगों में लाभ होता है।
सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से कान दर्द ठीक हो जाता है।
सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी भी कटकर निकल जाती है।
सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हींग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।
सहजन फली का रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे – धीरे कम होने लगता है।
सहजन की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
सहजन की कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है।
सहजन की जड़ के काढे को सेंधा नमक और हींग के साथ पीने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।
सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सूजन ठीक हो जाते हैं ।
सहजन के पत्तों को पीसकर हल्का गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज को घिसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है।
सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी से शरीर के कई रोगों खासतौर पर सर्दी जुखाम से छुटकारा मिलता है । अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन, मैग्नीशियम और सीलियम भी होता है।
सहजन का जूस गर्भवती स्त्री को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलिवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलिवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया जा रहा है। इसकी सब्जी को खाने से बुढापा दूर रहता है। यह आँखों की रौशनी के लिए अति उत्तम है ।
सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। जिससे पिंपल जैसी समस्या के लिए यह अत्यंत लाभकारी है ।
सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है। त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्व कॉस्मेटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है। सत्व के जरिए त्वचा की गहराई में छिपे विषैले तत्व बाहर निकाले जा सकते हैं।
सहजन के बीजों का पेस्ट त्वचा के रंग और टोन को साफ रखने में मदद करता है।मृत त्वचा के पुनर्जीवन के लिए इससे बेहतर कोई रसायन नहीं है। धूम्रपान के धुएँ और भारी धातुओं के विषैले प्रभावों को दूर करने में सहजन के बीजों के सत्व का प्रयोग सफल साबित हुआ है।
सहजन पाचन से जुड़ी समस्याओं को खत्म कर देता है। हैजा, दस्त, पेचिश, पीलिया और कोलाइटिस होने पर इसके पत्ते का ताजा रस, एक चम्मच शहद, और नारियल पानी मिलाकर लें, यह एक उत्कृष्ट हर्बल दवाई है।
सहजन के पत्ते का पाउडर कैंसर और दिल के रोगियों के लिए एक बेहतरीन दवा है। यह ब्लडप्रेशर को कंट्रोल करता है। इसका प्रयोग पेट में अल्सर के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। यह पेट की सभी समस्याओं के लिए यह एक बेहतरीन आयुर्वेदिक औषधि है। यह शरीर की ऊर्जा का स्तर बढ़ाने में अत्यंत कारगर है।
इसके बीज में पानी को साफ करने का गुण होता है। बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर पानी को स्वच्छ , निर्मल व बैक्टीरिया रहित बनाता है।
कुपोषण से पीड़ित लोगों को आहार के रूप में सहजन का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। एक से तीन साल के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह एक प्रकृति का वरदान माना गया है।
सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। इसका काढ़ा साइटिका रोग के साथ ही, पैरों के दर्द व सूजन में भी बहुत लाभकारी है।
इसका जूस प्रसूता स्त्री को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलीवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलीवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है। सहजन की पत्तियों के साथ ही सजहन का फल विटामिन्स से भरपूर होता है। सहजन में विटामिन ए होता है, इसीलिए यह सौन्दर्यवर्धक के रूप में भी काम करता है। साथ ही, यह आंखों के लिए भी अत्यंत लाभदायक होता है।
पिंपल्स की प्रॉब्लम हो तो सहजन का सेवन करना चाहिए। इसके सूप से शरीर का खून साफ होता है। चेहरे पर लालिमा आती है और पिंपल्स की समस्या खत्म हो जाती है। सहजन की पत्तियों से तैयार किया गया सूप तपेदिक, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस आदि रोगों में भी दवा का काम करता है।
इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है, जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है। इसीलिए महिलाओं व बच्चों को इसका सेवन जरूर करना चाहिए। इसमें जिंक भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो कि पुरुषों की कमजोरी दूर करने में अचूक दवा का काम करता है। इसकी छाल का काढ़ा में शहद मिलाकर प्रयोग करने से शीघ्रपतन की बीमारी ठीक हो यह पौरुष शक्ति वर्धक का भी काम करता है तथा शारीरिक दुर्बलता भी समाप्त हो जाती है।
सहजन में फोलिक एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह एक तरह का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। साथ ही सहजन में विटामिन सी बहुत मात्रा में होता है। यह कफ की समस्या में भी दवा की तरह काम करता है। जुकाम में सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें।
एक अकेला फल कई बीमारियों का काल, साल में सिर्फ 1-2 महीने मिलता है… इस करिश्माई फल का नाम है “शहतूत”… डायबिटीज से लेकर पेट रोग में रामबाण, और भी कई फायदे… गर्मी शुरू हो चुकी है इसलिए ऐसे में कई नए फल बाजार में देखने को मिलते हैं। इन्हीं में से एक फल शहतूत का भी है। यह फल बाजार में सिर्फ एक से दो महीने के लिए मिलता है। लेकिन, इसके फायदे इतने हैं कि आप गिनते-गिनते थक जाएंगे। पेट रोग, नर्वस सिस्टम आदि में यह काफी कारगर है।
इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है। जिस कारण लोग इसे खाना खूब पसंद करते हैं। स्वाद के साथ साथ इसमें कई अद्भुत अविश्वसनीय औषधीय गुण भी हैं।
शहतूत का फल कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। आयुर्वेद में शहतूत का एक विशेष स्थान है।
शहतूत के फल में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने के साथ-साथ कई रोगों से लड़ने में भी मदद करते हैं.
शहतूत में सायनाइडिंग, ग्लूकोसाइड नाम का फाइटोन्यूट्रिएंट्स पाया जाता है, जो रक्त में मौजूद अशुद्धियों को फिल्टर करने का काम करता है। इसके अलावा रक्त संचार को भी यह ठीक रखता है। शहतूत मानसिक विकास में भी काफी मदद करता है। शहतूत में साइटोप्रोटेक्टिव पाया जाता है।
नर्वस सिस्टम से संबंधित रोगों को ठीक करने के लिए यह फल काफी उपयोगी होता है। इसके अलावा शहतूत में ऐसे गुण भी हैं जो मानव शरीर में इंसुलिन बनाने की प्रक्रिया को तेज करते हैं, जिस कारण से डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को काफी मदद मिलती है।
इन सब के अलावा शहतूत वजन कम करने में, पाचन तंत्र को ठीक करने में, आंख की रोशनी बढ़ाने में, चेहरे की लाली बढ़ाने में, तनाव दूर करने में, बालों को मजबूत करने आदि में भी काफी कारगर माना जाता है।
कुल मिलाकर यह दो महीने मिलने वाला फल शरीर के लिए काफी उपयोगी है।
शरीर में पानी की पूर्ति :- जब आपको बार-बार प्यास लगती है तो मुलेठी को चूसने से आपके शरीर को 50 प्रतिशत पानी की मात्रा मिलती है, जो हमारे शरीर में पानी से पूर्ति करती है।
गले की समस्या :- गले में किसी भी प्रकार की कोई समस्या हो मुलेठी को चूसने से आपको फायदा मिलता है। इससे गला तो ठीक होता है, साथ ही हमारी आवाज भी मधुर बनती है।
कफ के लिए :- कफ को दूर करने के लिए मुलेठी को काली मिर्च के साथ सेवन करें। आपकी कफ कम हो जायेगीं और जब आप को सुखी खांसी होती है तब भी मुलेठी फायदेमंद होती है और इससे गले की सूजन भी कम हो जाती है। मुंह में छाले होने पर भी यह बहुत फायदेमंद होती है।
पेट के अल्सर के लिए :- मुलेठी पेट के अल्सर को दूर करने के लिए एक औषधि है, मुलेठी के चूर्ण का सेवन करके अपच और एसिडिटी को दूर किया जा सकता है और यह तेजी के साथ अल्सर के घावों को भी भरता है।
शरीर में अंदरूनी चोट से बचाए :- यह एक एंटीबायोटिक दवा के रूप में भी काम करता है, जो हमारे शरीर में बैक्टीरिया से लड़ने में सक्षम है। यह शरीर में अंदरूनी चोट के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है।
मासिक रोगों के लिए :- अक्सर महिलाएं मासिक संबंधी रोगों से परेशान रहती हैं, लेकिन जब हम मुलेठी का सेवन करते हैं तब हमें ऐसे में बहुत ही फायदा मिलता है। इसके लिए आधा चम्मच मुलेठी लेकर उसमें शहद को मिला लें और सुबह शाम उसको लेने से आपको फायदा मिलेगा।
कफ के लिए :- कफ को दूर करने के लिए मुलेठी को काली मिर्च के साथ सेवन करें। आपकी कफ कम हो जायेगीं और जब आप को सुखी खांसी होती है तब भी मुलेठी फायदेमंद होती है और इससे गले की सूजन भी कम हो जाती है। मुंह में छाले होने पर भी यह बहुत फायदेमंद होती है।
पेट के अल्सर के लिए :- मुलेठी पेट के अल्सर को दूर करने के लिए एक औषधि है, मुलेठी के चूर्ण का सेवन करके अपच और एसिडिटी को दूर किया जा सकता है और यह तेजी के साथ अल्सर के घावों को भी भरता है।
खून की उल्टी :- जब किसी को खून की उल्टी हो रही हो, तब दूध में मुलेठी का चूर्ण डालकर देने से या शहद में मुलेठी का चूर्ण मिलाकर चटाने से रोगी ठीक हो जाएगा।
शरीर में अंदरूनी चोट से बचाए :- यह एक एंटीबायोटिक दवा के रूप में भी काम करता है, जो हमारे शरीर में बैक्टीरिया से लड़ने में सक्षम है। यह शरीर में अंदरूनी चोट के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है।
टीबी की परेशानी :- मुलेठी से आंतों में होने वाली टीबी को आसानी से दूर किया जा सकता है।
मुनक्का से तो हम सब परिचित ही हैं। इसकी प्रकृति गर्म होती है। इसका प्रयोग करने से प्यास शांत हो जाती है व यह गर्मी और पित्त को भी ठीक करता है। यह पेट और फेफड़ों के रोगों में भी बहुत लाभकारी है।
मुनक्कों से विभिन्न रोगों का उपचार… (1). 10-12 मुनक्के धोकर रात को पानी में भिगो दें। सुबह इनके बीज निकालकर खूब चबा-चबाकर खाएं, तीन हफ़्तों तक यह प्रयोग करने से खून साफ़ होता है तथा नकसीर में भी विशेष लाभ होता है।
(2). 5 मुनक्के लेकर उसके बीज निकाल लें, अब इन्हें तवे पर भून लें तथा उसमें काली मिर्च का चूर्ण मिला लें। इन्हें कुछ देर चूस कर चबा लें, खांसी में लाभ होगा।
(3). बच्चे यदि बिस्तर में पेशाब करते हों तो उन्हें 2 मुनक्के बीज निकालकर उसमें एक-एक काली मिर्च डालकर रात को सोने से पहले खिला दें, यह प्रयोग लगातार दो हफ़्तों तक करें, लाभ होगा।
(4). पुराने बुखार के बाद जब भूख लगनी बंद हो जाए तब 10 -12 मुनक्के भून कर सेंधा नमक व कालीमिर्च मिलाकर खाने से भूख बढ़ती है।
(5). यदि किसी को कब्ज़ की समस्या है तो उसके लिए शाम के समय 10 मुनक्कों को साफ़ धोकर एक गिलास दूध में उबाल लें फिर रात को सोते समय इसके बीज निकाल दें और मुनक्के खा लें तथा ऊपर से गर्म दूध पी लें, इस प्रयोग को नियमित करने से लाभ स्वयं महसूस करें। इस प्रयोग से यदि किसी को दस्त होने लगें तो मुनक्के लेना बंद कर दें।
(6). मुनक्के के सेवन से कमजोरी मिट जाती है और शरीर हृष्ट – पुष्ट हो जाता है।
(7). मुनक्के में लौह तत्व (Iron) की मात्रा अधिक होने के कारण यह हीमोग्लोबिन अर्थात खून के लाल कण को बढ़ाता है।
(8). 4-5 मुनक्के पानी में भिगोकर खाने से चक्कर आने भी बंद हो जाते हैं।
सुबह-सुबह बिना कुल्ला किए पका टमाटर खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभप्रद होता है।
1. बच्चों को सूखा रोग होने पर आधा गिलास टमाटर के रस का सेवन कराने से बच्चे का सूखा रोग ठीक हो जाता है।
2-. बच्चों के विकास के लिए टमाटर बहुत फायदेमंद होता है। दो या तीन पके हुए टमाटरों का नियमित सेवन करने से बच्चों का विकास शीघ्र होता है।
3.-वजन घटाने के लिए टमाटर बहुत ही कारगर है। मोटापा कम करने के लिए सुबह-शाम एक गिलास टमाटर का रस पीना फायदेमंद होता है।
4.-यदि गठिया रोग से ग्रसित हैं,तो एक गिलास टमाटर के रस में थोड़ी सोंठ व इसमें एक चम्मच अजवायन का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें , गठिया रोग में फायदा होगा।
5.-गर्भवती महिलाओं के लिए टमाटर बहुत फायदेमंद ही होता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को सुबह एक गिलास टमाटर के रस का सेवन करना चाहिए।
6.-टमाटर पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। टमाटर के नियमित सेवन से पेट साफ रहता है।
7.-कफ होने पर टमाटर का सेवन अत्यंत लाभदायक है।
8--पेट में कीड़े होने पर सुबह खाली पेट टमाटर में पिसी हुई कालीमिर्च लगाकर खाने से फायदा होता है।
9.-भोजन करने से पहले दो या तीन पके टमाटरों को काटकर उसमें पिसी हुई कालीमिर्च, सेंधा नमक एवं हरा धनिया मिलाकर खाएं। इससे चेहरे पर लाली आती है।
10-टमाटर के गूदे में कच्चा दूध व नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे पर चमक आती है।
11-टमाटर के नियमित सेवन से अन्य रोग जैसे डायबिटीज, आंखों व पेशाब संबंधी रोगों, पुरानी कब्ज व चमड़ी के रोगों में फायदा होता है।
पका हुआ पपीता वायु व पित्त दोषनाशक, वीर्यवर्धक, हृदय के लिए हितकारी,पाचन शक्ति को सुदृढ़ करने तथा यकृत व तिल्ली वृद्धि, मंदाग्नि, आँतो के कृमि एवं उच्च रक्तचाप आदि रोगों में लाभकारी है| छोटे बच्चों और दूध पिलानेवाली माताओं के लिए पपीता एक टॉनिक का काम करता है| यह पाचनशक्ति को सुधारता है | जिन्हें कब्ज की शिकायत हमेशा रहती है, उन्हें पका पपीता नियमित खाना चाहिए !
पपीते में विटामिन ‘ए’ प्रचुर मात्रा में होता है, जिससे हमारी नेत्रज्योति में वृद्धि होती है और रतौंधी रोग में भी पपीता अत्यंत लाभकारी होता है | इसमें विद्यमान विविध एंजाइमों के कारण आँतों के कैंसर से भी रक्षा होती है | पपीते को शहद के साथ खाने से पोटैशियम तथा विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ की कमी दूर होती है !
अन्य औषधीय प्रयोग
अजीर्ण एवं कब्ज पके पपीते पर सेंधा नमक, जीरा और नींबू का रस डालकर कुछ दिन नियमित सेवन करने से मंदाग्नि, कब्ज, अजीर्ण तथा आँतों की सूजन , अपेंडिक्स में लाभ होता है !
दाँतो के रोग पके पपीते में विटामिन ‘सी’ काफी मात्रा में होता है | अत: दाँतो के हिलने या खून आने में पपीता खाने से विशेष लाभ होता है !
बवासीर सुबह खाली पेट पपीता खाने से शौच साफ होता है व बवासीर में भी अत्यंत आराम मिलता है ।
बच्चों का विकास रोज थोडा़ पपीता खिलाने से बच्चों का कद बढ़ता है तथा शरीर मजबूत एवं तंदुरस्त बनता है !
दूधवृद्धि पपीता खाने से दूध पिलानेवाली माताओं के दूध में वृद्धि होती है !
पेट में कीड़े कच्चे पपीते का रस 10 ग्राम सुबह पीने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं !
सावधानियाँ
ये सभी गुण प्राकृतिक रूप से पेड़ पर पके हुए देशी पपीतों के हैं, इंजेक्शन अथवा रसायन द्वारा पकाये गये पपीतों में ये गुण नहीं पाये जाते !
गर्भावस्था में, मासिकस्राव अधिक आनेपर, खूनी बवासीर व गर्मी से उत्पन्न बीमारियों में तथा गर्म तासीर एवं पित्त व रक्त विकार वाले पपीते का सेवन न करें !
कच्चा पपीता आँतों का संकोचन करनेवाला तथा कफ, वायु व पित्त वर्धक होता है!
हींग का उपयोग भारत में कई सौ सालों से मसाले के रूप में किया जा रहा है। दाल हो या सब्जी, साधारण खाने में हींग का छौंक लगाने से स्वाद कई गुना बढ़ जाता है। हींग केवल रसोई में काम आने वाला मसाला ही नहीं है बल्कि एक बेहतरीन औषधि भी है। हींग फेरूला-फोइटिडानाम के पौधे का रस है। इस पौधे के रस को सुखा कर हींग बनाई जाती है। इसके पौधे 2 से 4 फीट तक ऊंचे होते हैं। ये पौधे विशेष रूप से ईरान, अफगानिस्तान, तुर्केमिस्तान, बलूचिस्तान, काबुल और खुरासान के पहाड़ी क्षेत्रों में होते हैं। वहां से हींग पंजाब और मुंबई आती है। महर्षि चरक के अनुसार, हींग दमा के रोगियों के लिए रामबाण औषधि है। यह कफ का नाश करने वाली, गैस की समस्या से राहत देने वाली, लकवा के रोगियों के लिए फायदेमंद व आंखों के लिए भी बेहद लाभदायक होती है।
जानिए इसके कुछ खास उपयोग…
सौंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, अजवाइन, सफेद जीरा, काला जीरा, शुद्ध घी में भुनी हींग और सेंधा नमक सब समान मात्रा में पीस कर चूर्ण को रोजाना खाने के बाद 2 से 4 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करें, पेट में गैस की समस्या खत्म हो जाएगी।
हींग को पानी में घोल कर नाभि के आसपास लेप करने से या घी में भुनी हींग शहद में मिलाकर खाने से पेटदर्द में लाभ होता है।
हींग का छोटा-सा टुकड़ा पानी से निगल लेने पर पेटदर्द से बहुत जल्दी राहत मिलती है।
पेटदर्द में 2 ग्राम हींग को आधा किलो पानी में उबालें, जब चौथाई पानी बच जाए तो इस पानी को हल्का ठंडा कर पीयें ।
हींग को पानी में मिलाकर घुटनों पर लेप करने से घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।
दांतों में दर्द हो तो दर्द वाले स्थान पर हींग लगा लें या हींग का टुकड़ा रख लें। राहत मिलेगी।
हींग को पानी में उबालकर कुल्ला करने से भी दांतों के दर्द में राहत मिलती है।
सर्दी के कारण सिरदर्द हो रहा हो तो पानी में थोड़ी हींग घोल कर सिर पर लगाएं। सिरदर्द में तुरंत आराम मिलेगा।
हींग को पानी में घोलकर उसकी कुछ बूंदें रोजाना नाक में डालें। माइग्रेन की समस्या में बहुत आराम मिलता है।
पसलियों में दर्द हो तो पानी में हींग घोलकर पसलियों पर लेप करें, आराम मिलेगा।
बच्चों को न्यूमोनिया में हींग का पानी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में देते रहने से बहुत आराम मिलता है।
भोजन में हींग के नियमित सेवन से महिलाओं के गर्भाशय का संकुचन होता है और मासिक धर्म से जुड़ी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
दाद की समस्या के लिये गन्ने के सिरके के साथ थोड़ा हींग पाउडर मिलाएं। सुबह-शाम दाद पर लगाएं। कुछ ही दिनों में दाद खत्म हो जाएगा।
पुराने गुड़ में थोड़ी-सी हींग मिलाकर सेवन करने से हिचकी तुरंत बंद हो जाती है।
यदि कोई जहर खा ले तो उसे तुरंत हींग का पानी पिलाएं। ऐसा करने से उल्टी में जहर बाहर निकल जाता है और जहर का प्रभाव खत्म हो जाता है।
16 . हिस्टीरिया के रोगी को हींग सुंघाने पर तुरंत होश आ जाता है।
17 . हींग का नियमित सेवन करने से लो-ब्लड प्रेशर और दिल से संबंधित बीमारियां होने की संभावना कम हो जाती है।
पित्त यानी अर्टिकेरिया की समस्या होने पर हींग को घी में मिलाकर शरीर पर मलें, बहुत जल्दी लाभ होगा।
हींग को आक के फूल के साथ पीसकर छोटी-छोटी गोली बनाकर गर्म पानी से लें। खांसी की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।
गला बैठ जाए तो हींग को उबले हुए पानी में घोलकर इस पानी से गरारे दिन में 2-3 बार करें। गला ठीक हो जाएगा।
(1). गुर्दे की पथरी और पेशाब संबंधी रोग में गुर्दे की पथरी और पेशाब में जलन होने पर 5 मिली0 कलौंजी तेल नाश्ते से पहले लेना चाहिए।
(2). शरीर के दर्द में कमर व जोड़ों के दर्द में पोलियो, फालिज, गठिया व बदन दर्द में कलौंजी तेल को गर्म करके दर्द वाली जगह पर हल्की मालिश करें।
(3). मर्दाना कमजोरी में … कलौंजी और जैतून का तेल डालकर बराबर मात्रा में चाटने से कमजोरी दूर हो जाती है।
(4). अच्छी नींद के लिए कलौंजी का तेल और आधा चम्मच गर्म दूध मिलाकर सोते समय पर लेने से नींद अच्छी आती है।
(5). बालों की समस्या में.. बालों का गिरना औऱ वक्त से पहले ही सफेद होना और दोमुंहे हो कर गिरने पर कलौंजी के तेल की मालिश करें। इससे एक हफ्ते में बाल झड़ने बंद हो जायेंगे।
(6). मोटापा होने पर.. आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से मोटापा में लाभ होगा। गुनगुने पानी से दिन में दो बार खाली पेट लेना चाहिये ।
(7). दिल की बीमारी.. रक्त नलिकाओं के ब्लॉकेज में और हार्ट अटैक में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और गर्म दूध को मिला कर सुबह शाम लें।
(8). याददाशत के लिए.. आधा चम्मच कलौंजी का तेल औऱ 100 ग्राम पुदीने के उबले हुए पानी को मिलाकर दें।
(9). बवासीर की शिकायत.. खूनी बवासीर में आधा चम्मच कलौंजी तेल को एक कप चाय में मिलाकर सुबह शाम पिलायें।
सावधानी तली -भुनी चीजें व मिर्च मसाले का कम इस्तेमाल करें।
नाभि का जीवन में शुरू से लेकर अंत तक कुदरती रिश्ता… गर्भ की उत्पत्ति नाभि के पीछे होती है और उसको माता के साथ जुड़ी हुई नाड़ी से पोषण मिलता है । इसलिए मृत्यु के तीन घंटे तक नाभि गर्म रहती है।
गर्भधारण के नौ महीनों अर्थात 270 दिन बाद एक सम्पूर्ण बाल स्वरूप बनता है।
नाभि के द्वारा सभी नसों का जुड़ाव गर्भ के साथ ही शुरू हो जाता है। इसलिए नाभि शरीर का एक अद्भुत भाग है।
नाभि के पीछे की ओर पेचूटी या navel button होता है। जिसमें 72000 से भी अधिक रक्त धमनियां स्थित होती हैं।
हमारी नाभि को मालूम रहता है कि हमारी कौन सी रक्तवाहिनी सूख रही है, इसलिए वो उसी धमनी में तेल का प्रवाह कर देती है।
जब बालक छोटा होता है और उसका पेट दुखता है, तब हम हींग और पानी या तेल का मिश्रण उसके पेट और नाभि के आसपास लगाते हैं और उसका दर्द तुरंत गायब हो जाता है ।
बस यही काम है तेल का।
नाभि में गाय का शुद्ध घी या तेल लगाने से बहुत सारी शारीरिक दुर्बलता का हल हो सकता है।
आँखों का शुष्क हो जाना:- नजर कमजोर हो जाना, चमकदार त्वचा और बालों के लिये सोने से पहले 3 से 7 बूँदें गाय का शुद्ध घी और नारियल का तेल मिलाकर नाभि में डालें और इसे नाभि के आसपास डेढ़ इंच गोलाई में फैला दे।
घुटने के दर्द में उपाय:- सोने से पहले तीन से सात बूंद शुद्ध अरंडी का तेल नाभि में डालें और उसके आसपास डेढ़ इंच में फैला दें।
शरीर में कम्पन तथा जोड़ोँ में दर्द और शुष्क त्वचा के लिए उपाय:- रात को सोने से पहले तीन से सात बूंद राई या सरसों का तेल, नाभि में डालें और उसके चारों ओर डेढ़ इंच में फैला दें।
मुँह और गाल पर होने वाले पिम्पल के लिए उपाय:- नीम का तेल तीन से सात बूंद नाभि में उपरोक्त तरीके से डालें।
नाभि में देशी गाय का घी लगाने के लाभ:- नाभि में देशी गाय का घी लगाने से नज़र बढ़ती है, आखों की किसी भी समस्या के लिये यह बहुत ही लाभप्रद है ।
नाभि में देशी गाय का घी लगाने से ओंठ नहीं फटते।
नाभि में देशी गाय का घी लगाने से चेहरे पर चमक आती है।
शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस है तो आपके शरीर के लिए इतना ही तापमान का पानी उचित है।
कभी भी ठंडा पानी ,फ्रिज का पानी, बर्फ का पानी ना पीयें ,ताजा पानी ही पीयें , मिट्टी के घड़े का पानी सर्वोत्तम है।
भोजन करने के पश्चात 60-90 मिनट तक पानी का सेवन ना करें, यदि आप किसान या मजदूर आदि हैं तो 60 मिनट अन्यथा 90 मिनट बाद ही पानी पीयें ।
सुबह उठकर उकड़ू बैठकर सवा लीटर पानी पीयें ।
सुबह उठकर सबसे पहले 3-4 गिलास पानी पीयें , सम्भव हो तो हल्का गुनगुना पानी पीयें यह आपके स्वास्थ्य के लिए अमृत समान है ।
रात सोने से पहले 1 गिलास गुनगुना पानी पीयें , हार्ट अटैक से बचे रहेंगे।
प्लास्टिक की बोतल, लकड़ी की बोतल आदि का पानी न पीयें ।
जब भी पानी पीयें उसे घूंट-घूंट करके ही पीयें , एक गिलास पानी को कम से कम 8-10 बार में थोड़ा थोड़ा करके पीयें , एक घूँट मुह में पानी भरें, थोड़ी देर मुंह में घुमायें फिर इसे पीयें ,दिन भर में अगर 10 गिलास पानी पियेंगे तो 100 बार यह मुह की लार अंदर जाएगी जो अमृत है, इसी प्रकार ही पानी पीना है।
प्यास लगने पर पानी न पीना या इसे टालना आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है ।
पानी उबालने पर यदि 3/4 भाग शेष बचे तो यह वातनाशक , यदि 1/2 भाग शेष बचे तो पित्तनाशक ,यदि 1/4 शेष बचे कफ़नाशक का काम करता है।
सबसे शुद्ध बारिश का पानी होता है। पानी हमेशा बैठकर सुखासन में पीयें ।
कम से कम 4 लीटर पानी रोज पीयें ।
गर्मियों में मिट्टी के बर्तन का पानी सर्वोत्तम है।
सर्दियो में सोने के पात्र का पानी उत्तम है।
बरसात में ताम्बे के पात्र का पानी उत्तम है।
ताम्बे के पात्र का पानी अगर हमेशा पीना है तो 3 महीने लगातार पीयें , फिर 1 महीने बन्द करके, फिर से पीयें ।
गिलास की अपेक्षा ताम्बे के लोटे में पानी पीना सर्वोत्तम है।
RO का पानी पीना बन्द करें, इंसमे कोई पोषक तत्व नहीं ।
पानी को सबसे अच्छा फिल्टर केवल चूना करता है।
पानी को उबाल कर पीया जा सकता है, जिन्हें कोई शारीरिक समस्या है यह सभी नियम आपको किसी भी बीमारी से स्वयं बाहर निकाल लेंगे, और बीमार पड़ने की संभावना भी बहुत कम रहेगी।
यदि कोई भी इन नियमों का पालन करता है तो कम से कम 80 तरह के रोगों से वह बचा रहेगा।
आपके शरीर में प्रोटीन की कमी कोने-कोने से खून छीन लेती है… चिकन-मटन छोड़कर खाएं ये 10 सिम्पल लेकिन सुपर फूड्स जिससे शरीर पर चढ़ेगा मांस और खत्म हो जायेगी तमाम कमियां.
प्रोटीन डेफिशिएंसी से होने वाली बीमारियां… खाने में प्रोटीन ना होने की वजह से मसल्स खत्म होने लगती हैं। इसकी वजह से कुपोषण होता है जो एनीमिया को बढ़ाता है। प्रोटीन की कमी से सूख जाएगा खून… प्रोटीन की कमी से मरास्मस (सूखा रोग) की बीमारी हो जाती है। इसमें प्रोटीन ना लेने से कुपोषण हो जाता है। इसकी वजह से रेड ब्लड सेल्स भी कम होने लगते हैं। जिससे शरीर में खून की कमी हो जाती है। इस बीमारी में प्रोटीन देने वाला चिकन, मटन और अंडे से ज्यादा फायदेमंद दूसरे फूड्स होते हैं, जिनमें प्रोटीन के साथ आयरन भी प्रचुर मात्रा में होता है।
(1). पालक… पालक एक हरी पत्तेदार सब्जी है जो थकान और कमजोरी को मिटा देती है। पालक के पत्तों में आयरन और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है। पालक कैल्शियम का भी एक अच्छा स्रोत है।
(2). फलियां… फलियां बेस्ट वेजिटेरियन फूड्स में से एक हैं। इसके अंदर दालें, छोले और सोयाबीन आती हैं । ये फूड्स मरास्मस (सूखा रोग) की बीमारी दूर करने के लिए दोनों पोषक तत्व देते हैं।
(3). कद्दू के बीज… अगली बार कद्दू के बीज फेंकने की गलती ना करें। इन्हें सुखाकर भून लें और खाएं। कद्दू के छोटे से बीज में प्रोटीन के साथ -साथ आयरन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है ।
(4). क्विनोआ… क्विनोआ एक हाई प्रोटीन फूड है। जो रेड ब्लड सेल्स का उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है। इसकी खिचड़ी बनाकर खा सकते हैं। सलाद में भी इसे डाला जाता है।
(5). ब्रोकली… ब्रोकली एक सुपरफूड माना जाता है। इसमें कैंसर से बचाने वाले गुण होते हैं। साथ ही एनीमिया, थकान, कमजोरी जैसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए यह एक बेहतरीन सुपर फ़ूड है।
(6). टोफू… टोफू दिखने में पनीर की तरह होता है मगर यह दूध से नहीं बनता। इसे सोयाबीन से तैयार किया जाता है। यह एक हाई प्रोटीन और हाई आयरन फूड है। लैक्टोज इनटॉलरेंट भी इसका सेवन आराम से कर सकते हैं।
(7). मक्की का आटा… अगर आपको मक्के की रोटी खाना पसंद है तो यह कुपोषण और एनीमिया की बीमारी को खत्म करने में बहुत ही कारगर है। पालक के साग के साथ इसका कॉम्बिनेशन काफी पावरफुल हो जाता है।
(8). ओट्स… ओट्स से हमें प्रोटीन, आयरन और फाइबर मिलता है। वजन कम करने के साथ -साथ आयरन और प्रोटीन की कमी को दूर करने हेतु भी इसका सेवन करें। यह शरीर के लिए काफी हेल्दी फूड है।
(9). मटर… मटर के दाने कमजोरी और थकान का इलाज कर सकते हैं। यह आपके सूखे शरीर पर मांस भी चढ़ाते हैं। इनमें प्रोटीन और आयरन की भरमार होती है।
शरीर के संकेतों को अनदेखा ना करें क्योंकि….. हमारा शरीर खुद एक डॉक्टर होता है हर आने वाली बीमारी या शरीर में होने वाले परिवर्तन को वो खुद बता देता है,लेकिन हम शरीर के इन संकेतों को अनदेखा कर देते हैं। अगर हम अपने शरीर के इन संकेतों को वक्त रहते समझ जाएं तो बहुत सी बीमारियों का सही समय पर इलाज करा सकते हैं।
जैसे कुछ के बारे में मैं यहाँ जानकारी दे रहा हूँ-
➡️ जीभ पर सफेद या भूरे रंग का मैल जमना पेट की खराबी का संकेत।
➡️ निमोनिया, प्लूरिसी आदि रोग में नाक के नथुने तेजी से फड़कते हैं।
➡️ अधिक थकावट या पुरानी कब्ज की अवस्था में आखों के नीचे कालापन आ जाता है।
➡️ कमजोरी, खून की कमी, ल्यूकोरिया (श्वेत-प्रदर) आदि में आंखों के चारों तरफ कालापन आ जाता है।
➡️ किडनी के कार्य में रुकावट आने पर आंखों के नीचे सूजन आ जाती है।
➡️ बुखार आने पर होठों के कोने पर सफेद छाले हो जाते हैं।
➡️ पीरियड्स कम आने पर गालों पर झाइयां हो जाती हैं।
➡️ फेफड़ों में इन्फेक्शन होने पर गाल लाल हो जाते हैं।
➡️ टायफाइड में शाम को शरीर का तापमान एक डिग्री बढ़ जाता है।
➡️ पेट में कीड़े होने पर बच्चे सोते समय दांत किटकिटाते हैं या सोते समय बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं।
➡️ पेट में कीड़े होने पर बच्चों को नाक और मलद्वार में खुजली होती है।
➡️ तिल्ली बढ़ने पर जीभ का रंग सफेद हो जाता है।
➡️ आंतों और पेट के रोग में जीभ पर छाले या घाव हो जाते हैं।
➡️ पेट में कीड़े होने पर चेहरे पर हल्के सफेद रंग के धब्बे हो जाते हैं।
➡️ लो ब्लडप्रेशर और खून की कमी होने पर आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है।
➡️ महिलाओं में यूट्रस (बच्चेदानी) में रोग होने पर हाथ की उंगलियों के पीछे कालापन आ जाता है।
➡️ अधिक वीर्यनाश से गाल पिचक जाते है।
➡️ पेट के रोग या किसी लंबी बीमारी में होंठ फटने लगते हैं।
➡️ हाइपोथायरॉइडिज्म (थाइरॉइड ग्लैंड का हारमोन कम निकलना) में गले में सूजन आ जाती है।
यदि आप बड़ी बीमारी से बचना चाहते हैं तो अपने शरीर के छोटे से छोटे परिवर्तन को कभी भी अनदेखा न करें।
अपने खानपान का विशेष ध्यान रखें,अधिक चटपटी, मसालेदार, अत्यधिक तली – भुनी व बाजार के बने भोज्य पदार्थों का कम से कम इस्तेमाल करें । घर का बना शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर अपने स्वास्थ्य की रक्षा करें ।
हरा प्याज भी है गुणों से भरपूर… ●●- हरा प्याज खाने के कई फायदे हैं। ● यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम बनाए रखता है। ● इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। ● एंटी-बैक्टीरियल गुण के कारण ही इसे खाने से पाचन में भी सुधार होता है। ● हरे प्याज में क्रोमियम होता है।
●●- हरा प्याज खाने से इम्यूनिटी पावर बढ़ता है। ● हरा प्याज चेहरे की झुर्रियों को दूर करता है। ● इसे खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। ● हरा प्याज मैक्रोन्यूट्रिशयन को बनाए रखता है। ● हरे प्याज में एंटी- इंफ्लामेंटरी और एंटी- हिस्टामाइन गुण भी होते हैं। इसीलिए, यह गठिया और अस्थमा के रोगियों के लिए लाभदायक रहता है।
●●- हिस्टीरिया का रोगी अगर बेहोश हो जाए तो उसे प्याज कूटकर सुंघाएं। इससे रोगी तुरंत होश में आ जाता है।
●●- बाल गिरने की समस्या से निजात पाने के लिए प्याज बहुत ही असरकारी है। ● बालों पर प्याज के रस की मालिश करने से बाल गिरना बंद हो जाते हैं। ● इसके अलावा, प्याज का लेप लगाने पर कम उम्र में सफेद हुए बाल फिर से काले होने लगते हैं।
●●- पेशाब होना बंद हो जाए तो दो चम्मच प्याज का रस और गेहूं का आटा लेकर हलवा बना लें। हलवा गर्म करके पेट पर लेप लगाने से पेशाब आना शुरू हो जाता है। ● प्याज पानी में उबालकर वह पानी पीने से भी पेशाब से सम्बन्धित समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
■ आंखों में जलन होना, कम दिखाई देना, आंखों में जाले आना आदि ऐसी समस्याएं हैं जो आगे जाकर गंभीर रूप धारण कर सकती हैं। ■ इसलिए जब भी आंखों में इस तरह की कोई तकलीफ ज्यादा महसूस हो तो डॉक्टर को अवश्य दिखायें ।
■ साथ ही रोजाना मुंह में पानी भर कर दिन में दो बार 25-50 बार आंखों पर ताज़े पानी का छींटा मारें और अपनी आंखों का चेकअप दो-तीन महीने में करवाते रहें।
■ ऑफिस में लगातार कम्प्यूटर स्क्रीन के सामने रहने के कारण या लगातार टी.वी. देखने के कारण आंखों में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं ।
■ आंखें हमारे शरीर का बहुत संवेदनशील अंग है और यदि इसका ध्यान रखा जाए तो आंखों को हमेशा चश्मे से आजाद व बीमारियों से बचाकर रखा जा सकता है।
■ जानिये कुछ ऐसे नुस्खे जो आंखों की समस्या में रामबाण की तरह काम करते हैं जैसे.. ● आंखों में जलन होना, ● कम दिखाई देना, ● आंखों में जाले आना आदि ऐसी समस्याएं हैं जो आगे जाकर गंभीर रूप धारण कर सकती हैं। ■ इसीलिए जब भी आंखों में इस तरह की कोई तकलीफ ज्यादा महसूस हो तो डॉक्टर के पास जरूर जाएं। ■ चश्मा न लगे व आंखे स्वस्थ रहें इसके लिए कुछ सावधानियां रखना भी जरुरी है। ● जैसे आंखों का मेकअप व काजल, तौलिये से रगड़ कर छुड़ाने का प्रयास ना करें। ● आंखो मे कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न डालें। ● लेटकर टी.वी. न देखें । ● अंधेरे में भी टी.वी.बिल्कुल न देखें।
■ चिंता, तनाव, अनिद्रा से बचें। ● आंखों में जलन हो या धूप से आए हों, तो आँखों पर बर्फ के पानी की पट्टियां रखें। ● आंखों को फ्रेश रखने के लिए खीरे के रस में भिगोकर रुई फ्रिज में रखें व फिर उसे कुछ देर तक आंखों पर रखें। ● गुलाब जल में रुई भिगो कर आंख पर रखें। ▪️ यदि दूर का चश्मा लगा हो तो इसे लगाकर रखें सिर्फ सोते समय ही उतारें ।